युवाओं में नेतागिरी नहीं सेवक का भाव जागृत हो: ABVP टिया चौहान
वर्तमान परिदृश्य में युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है वें कोई न कोई संगठन,पार्टी के प्रति रुझान अवश्य लेकर चलते हैं जो कि आवश्यक भी है किन्तु तत्वों के बिना अनुभूति के कारण वह चुनौती का रूप लेता है जिसका सम्बन्ध एक सावधानी जो हर वरिष्ठ-बुज़ुर्गों को चेत करना चाहिए की युवाओं के मन मस्तिष्क पर कभी नेतागिरी के बीज नहीं बोने चाहिए इससे उनके दिल दिमाग मे पद प्रतिष्ठा की लालसा जन्म लेती है जो मानव कल्याण पर विपरीत असर पड़ेगा और चने की झाड़ में चढ़ाने वाले व्यक्तित्व के गलत संगत से उनका नैतिक पतन इस कदर हावी होने लगेगा कि सेवक के गुण जैसे निःस्वार्थ सेवा करना,बात-काम-व्यवहार में नम्रता,सहनशीलता,पारस्परिक सामंजस्य बिठाने की भावना आदि उद्दंडता में परिवर्तित हो सकते हैं।
जितना हो सके उन्हें मातृभूमि के प्रति समर्पित होने पर ऊर्जान्वित करें व मानव समाज के हितों पर प्रखरता एवं विकास पर बल दें जिससे युवाओं में परोपकार और सेवा की भावना स्थिरतापूर्वक उनके सुंदर व्यक्तित्व के मार्ग को स्वतः प्रशस्त करेंगें।