जांजगीर-चांपा

कलयुगी बेटी की कहानी, आंख में आ जाएगा पानी…बूढ़ी माँ को निकाला घर से, रख लिया समस्त दस्तावेज.. यूनियन बैंक मैनेजर से शातिर बेटी का सांठ-गांठ …! खुद के पैसे के लिए गिड़गिड़ाती रही वृद्धा और उसके परिजन…माँ ने सगी बेटी माधवी वैष्णव और बैंक मैनेजर सरोज कुमार राय गुरु के नाम पर दर्ज कराया एफआईआर…खबर पढ़ कर काँप उठेगा रूह..

डभरा/जांजगीर:- कहते हैं समय का खेल बड़ा अनोखा होता है। जो महिला कभी परिवार में राज करती थी, पति शिक्षक थे, 7 बेटियों , पोते-पोतियों से भरा-पूरा परिवार के बीच सुख भोगने वाली आज पति के मौत के बाद सिर्फ 1 बेटी के कारण अपने घर से बेदखल हो गयी और तो उसकी ही एक बेटी ने घर, जमीन, आधारकार्ड, बैंक पासबुक,और पति के पेंशन ,पेनकार्ड, आधारकार्ड, यहां तक कि पति के मृत्यु प्रमाणपत्र तक को अगर रख ली हो कहने से किसी भी व्यक्ति को यकीन भी नही होगा….जो कि बिल्कुल सत्य घटना है।


यह घटना जांजगीर-चाम्पा जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम-बघौद थाना डभरा की है।
ग्राम बघौद की विधवा महिला ने मीडिया को बताया कि उनका नाम हेमकुंवर वैष्णव ,पति स्व पदुम दास वैष्णव है। उनके परिवार में पति के अलावा 7 बेटियां हैं जिसमे 6 बेटियां अपने ससुराल में हैं, एक बेटी माधवी अपने पति एवं ससुराल से झगड़ा कर विगत 24 साल से अपने मायके में ही रह रही है।
पति पेशे से शिक्षक थे, जिनकी मृत्यु दिसम्बर 2018 को हो गया है। जिनका पेंशन अब हेमकुंवर के नाम से बनना है।
अब यहाँ से शुरू होती है हेमकुंवर वैष्णव की दर्द भरी दास्तान…

पति के मृत्यु पश्चात अब पेंशन के लिए पासबुक बनवाने के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र की आवश्यकता हुवी जिसे हेमकुंवर ने सचिव बघौद से बनवाकर रखा था जिसे 24 साल से घर मे रह रही उसी की बेटी माधवी ने आधारकार्ड और मृत्यु प्रमाणपत्र को छुपा के रख लिया और देने से इनकार कर दिया और किसी मानु साहू को लेमिनेशन करवाने दी हूँ बोलकर कहा गया जिसे 1 माह बीत जाने के बाद भी नही दी।
ततपश्चात बृद्ध महिला हेमकुंवर द्वारा पुनः सचिव बघौद से मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए निवेदन कर बनाया गया, और आधारकार्ड और पेनकार्ड बनवाया गया।

पति की मृत्यु के पश्चात आये दिन माधवी वैष्णव द्वारा अपनी माँ हेमकुंवर को जमीन और सारी जायदाद को अपने नाम मे लिखवाने के लिए दबाव डाला गया..! हेमकुंवर वैष्णव द्वारा मेरी 7 बेटियाँ हैं सभी का बराबर हिस्सा है उसे मैं सबको बराबर दूंगी किसी एक को नही दे सकती कहकर बोला गया तो माधवी वैष्णव द्वारा अपने माँ को प्रतिदिन झगड़ा कर घर से निकल बोलकर कहा गया एवं बुढ़िया को खाना पीना तक सही ढंग से दिया नही जा रहा था। इसी दरम्यान सोसाइटी में धान का पैसा आने की खबर सुनकर माधवी वैष्णव द्वारा पूरे पैसे की मांग हेमकुंवर वैष्णव से मांग की गयी जिसे हेमकुंवर ने घर मे अडवेस्टर और खप्पर छवाने की बात कही तत्पश्चात तुम सब को रख लेना बोली।
गुस्से में आकर माधवी द्वारा अपने बड़ी बहन पद्मावती को फोन करके कहा गया कि धान का 28000 को माँ मेरे को नही देगी तो मैं खाना पीना नही दूंगी तुम लोग जानना..!
दूसरे दिन कासीडीह में रहने वाली बेटी और दामाद बघौद जाकर देखे तो सच मे माधवी सुबह से खाना नही बनाई थी और बूढ़ी वृद्धा को छोड़कर कहीं बाहर चली गयी थी। माधवी को फोन करके बुलाया गया तो घर आते ही अपनी बहन अनुसुइया और दामाद और माँ से झगड़ा और गाली गलौच शुरू कर दी की धान का पैसा लेने आ गए बोलकर इल्ज़ाम लगाया गया और पूरे 28000 को मुझे दो और ले जा अपनी माँ को बोला गया जिसे कासीडीह वाली बेटी अनुसुईया और दामाद द्वारा अपने घर ला कर साल भर से ऊपर रखकर इलाज एवं सेवा किया जा रहा है, जहां उनकी अन्य बेटियां भी समय निकालकर अपनी माँ को देखने आया करती थीं।
परन्तु अपने परिवार की बदनामी न हो बोलकर सब चुपचाप थे।
चूँकि पेंशनधारीयों को साल में एक बार अपना जीवित होने के प्रमाणपत्र देना होता है तो विगत नवम्बर से माधवी वैष्णव को अपना आधरकार्ड और समस्त दस्तावेज को हेमकुंवर द्वारा अपनी बेटी माधवी को मांगा गया तो नही है नही दूंगी कहकर बोला गया..हेमकुंवर के अनुसार सभी दस्तावेज को भरत साहू ,संतोष साहू और छलिया वैष्णव द्वारा दबावपूर्वक अपनी बेटी माधवी को देने को बोला गया जिसे उनके कहने पर हेमकुंवर द्वारा दे दी गयी अब आवश्यकता पड़ने पर माधवी द्वारा अब देने से इनकार किया जा रहा है कि मेरे पास नही है बोलकर बरगलाया जा रहा है, जिस कारण पिछले साल से उनका पेंशन आना रुक गया है।

अभी वर्तमान में भी इस नवम्बर को पुनः सपरिवार जाकर माधवी को विनती की गई कि दस्तावेज के खातिर पेंशन रुक गया है दे दो तब भी माधवी द्वारा नही रखी हुन कहकर बोला गया। टेंशन में हेमकुंवर की तबियत दिन ब दिन खराब होते गयी। हेमकुंवर के हृदय में पेश-मेकर लगा हुआ है जिसके सहारे धड़कन चल रही है जिसकी बैटरी 10 साल पश्चात बदलनी पड़ती है, इसलिए अब वृद्धा को पैसे की शक्त जरूरत है वरना उसकी मृत्यु भी सम्भावित है।

कौन है माधवी वैष्णव और क्यों डरते हैं सभी परिजन:-

हेमकुंवर वैष्णव के अनुसार माधवी वैष्णव उनके 6वें नम्बर की बेटी है। जिसका विवाह पूर्व में करपीपाली में हुवी थी। विवाह के एक माह बाद ही पति और ससुराल वालों से झगड़ा कर अपने मायके वापिस आ गयी परिवारजन और ससुराल पक्ष के लाख समझाने के पश्चात भी तलाक पर अड़ गयी नतीजन तलाक हो गया। तलाक के पश्चात माधवी का बाकी बहनों के साथ व्यवहार बहुत खराब था जिन्हें मायके जाने पर माधवी द्वारा हमेशा झगड़ा करके बघौद से भगाया जाता था। कुछ कहने पर तुम्हारे पतियों को और बहन के बेटों को छेड़खानी और रेप जैसे केस में फंसाने की बात माधवी द्वारा किया जाता था जिससे लोकलाज के भय में सभी परिजन डरने लगे थे जिससे उसका हौसला दिन ब दिन बढ़ता गया।
इसी दरम्यान माधवी अपना मानसिक संतुलन खो बैठी तो उनके ही बहनोई और बहन के बेटों ने माधवी का उपचार बुर्ला, सम्बलपुर के मानसिक चिकित्सालय में 3 वर्षो से कराया गया तथा पेट मे गोला होने पर रायपुर के बालाजी हॉस्पिटल में ईलाज़ कराया गया था। परंतु माधवी की नज़र सिर्फ पैसों और जायदाद के ऊपर ही टिकी थी इसके सामने बहन का रिश्ता तो दूर सगी माँ और बाप का रिस्ता भी कुछ नही था। पिता के मृत्यु के तुरंत घर मे विवाद कर मा को घर से भागने को मजबूर किया गया एवमं समस्त दस्तावेज रख लिया गया जिससे आज तलक हेमकुंवर पैसों के लिए मोहताज होकर अपने अन्य बेटियों घर रहने को मजबूर है।

यूनियन बैंक मैनेजर कोटमी सरोज कुमार राय गुरु के मन मे आ गया लालच..!खुद के पैसे के लिए गिड़गिड़ाते रही महिला और उसके परिजन…कमीशन के चक्कर मे नियम किया दरकिनार..हेमकुंवर और परिजनों ने लगाया गम्भीर आरोप….कराया एफआईआर..

अब कहानी की दूसरी और दर्दनाक कड़ी शुरू होती है यूनियन बैंक मैनेजर कोटमी द्वारा..! अब वृद्धा को अपने इलाज एवं हृदय में पेश मेकर लगवाने के लिए जल्द से जल्द पैसे की जरूरत थी उसके कहने पर उसके पोते द्वारा बैंक मैनेजर को दिनांक 10.12.2020 को फोन करके बताया गया कि हेमकुंवर की तबियत बहुत खराब है पासबुक नही है ईलाज़ के लिए पैसे की शक्त जरूरत है कैसे करें कहकर तो मैनेजर द्वारा बैंक लेकर खाताधारक को आने और पैसा ले जाने की बात कही।
बैंक पहुंचकर मैनेजर ने खाता नम्बर आधार नम्बर पूछा गया बताने पर यूनियन बैंक मैनेजर कोटमी द्वारा बताया गया कि खाते में 3 लाख 50 हज़ार की रकम है। जिसमे से खाताधारक को कितनी रकम निकालनी है, तो प्रार्थी द्वारा कहा गया कि हमे सभी पैसे निकालना हैं क्योंकि नॉमिनी के अभाव में पैसे निकालने के लिए परेशानी होगी, इनके खाते में कोई नॉमिनी नही है यह जानकर बैंक मैनेजर कुछ देर सोचने के बाद बोला कि पासबुक लेकर आइए तो परिजनों ने बताया कि आपसे बात करके स्पष्ट कर दिया गया था कि पासबुक नही मिल रहा है फिर आपके कहने से ही आये हैं तो बैंक मैनेजर 10 हज़ार रख लो बाकी को छोड़ दो बोलकर बोला गया जिसे सुनकर हेमकुंवर और परिजन भौचक्के हो गए, फिर नही मानने पर 20 हज़ार तक देने की बात कही जबकि रायपुर का किराया ही 4 से 5 हज़ार है, बैंक मैनेजर फिर 49 हज़ार को देने के लिए अड़ गया। इतने में ही हल्ला मचते देख मीडिया से सम्पर्क किया गया मीडिया ने उनसे कहा कि आप किस नियम के तहत पैसा देने से इनकार कर रहे हैं अपना बाईट दे दीजिए तो अपने को फंसता देख बैंक मैनेजर ने बाइट देने से साफ इनकार कर दिया और मीडिया से भी बत्तमीजी करने लगा। मीडिया ने बैकल्पिक व्यवस्था के बारे में बताया तो चेक के माध्यम से पैसा देने की बात कही वहां पर ऐसे दो आदमी गवाह के रूप में लाने की बात कही जो जिम्मेदारी ले..बैंक मैनेजर के अनुसार हेमकुंवर और परिजनों ने दो गवाह को लेकर आये जिनका खाता यूनियन बैंक में था फिर भी बैंक मैनेजर की दादागिरी कायम रही उसने फिर से शर्त रखा कि ऐसे दो आदमी लाओ जिसे मैं भी जानू..!

मरणासन्न अवस्था मे प्रार्थी और हिम्मत खो चुके परिजनों के आंखों में अंधेरा छाने लगा लेकिन फिर कोटमी निवासी विजय पटेल और बघौद निवासी टिकेश्वर वैष्णव जिनको बैंक मैनेजर व्यकितगत तौर पे जानता था दोनो ने चेक में गवाह के रूप में दस्तखत किए और हेमकुंवर से एक चेक में 3 जगह अंगूठा लेकर बमुश्किल देने को राजी हुवा।

पुनः एक घण्टा से ज्यादा होने के बाद प्रार्थी और परिजनों द्वारा पैसे के लिए बोला गया तो लिंक नही होने की बात कही गयी..! तकरीबन 3.30 में यूनियन बैंक मैनेजर कोटमी द्वारा खाताधारक हेमकुंवर और परिजनों को कहा गया कि किसी का फोन आया है और वो पैसा देने के लिए मना की है नही दूंगा पैसा जो करना है कर लो मेरा कहकर बोला गया।
अब सोचने की बात यह है कि सुबह 11 बजे से 3 बजे तक पैसे को नही देने की नीयत से टालमटोल करने वाले बैंक मैनेजर जो कि नियम की बात कहकर सुबह से वृद्धा और परिजनों को बरगलाने का काम कर रहा था जिसके सामने मीडिया की भी कोई औचित्य नही थी सिर्फ एक फोन पर सभी नियम कायदे कैसे भूल गया?

थक-हार कर हेमकुंवर ने पुलिस की शरण मे जाना सही समझा परिजनों के साथ जाकर डभरा थाना प्रभारी को आपबीती सुनाई थाना प्रभारी द्वारा खुद के फोन से बैंक मैनेजर को निवेदन किया गया कि खाताधारक जिंदा है और स्वयं का पैसा ही लेने आई है बहुत बीमार है पैसा दे दीजिए तो बत्तमीज बैंक मैनेजर ने थाना प्रभारी को उल्टे शब्दों में कहा कि मुझे एक ने पैसा देने से मना किया है नही दूंगा आप दे दो मैं नही दूंगा बोला गया। चूंकि ये सब बात परिजनों और मीडिया के सामने स्पीकर ऑन करके थाना प्रभारी टंडन जी द्वारा कही गई थी जिसे सबने सुना।

मेरी मुत्यु के जिम्मेदार मेरी बेटी माधवी और यूनियन बैंक मैनेजर सरोज कुमार राय गुरु कोटमी की होगी…..हेमकुंवर वैष्णव

सब तरफ से हताश-परेशान हेमकुंवर ने माधवी और यूनियन बैंक मैनेजर कोटमी के नाम एफआईआर दर्ज करवाई है जिसमे उनके बैक पासबुक, घर-जमीन,पेंशन एवमं समस्त दस्तावेज रखकर नही देने वाली माधवी वैष्णव और उनके खुद के पैसे को माधवी के साथ सांठ-गांठ और कमीशन के चक्कर मे नही देने वाले यूनियन बैंक मैनेजर पर होगी तथा उनके ऊपर कठोर कार्यवाही करने के लिए अनुरोध किया गया है ।

Reported by admin

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