कोरबा

भू- माफियाओं ने राजस्व विभाग से सांठगांठ कर वनभूमि के शासकीय मत की जमीन पर फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया

लाइव भारत 36न्यूज़ से यशपाल सिंह की रिपोर्ट

कोरबा /पोड़ी उपरोड़ा जिला कोरबा तहसील पोड़ी उपरोड़ा जटगा राजस्व निरीक्षक क्षेत्र के ग्राम पंचायत जटगा में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसमे भू- माफियाओं ने राजस्व विभाग से सांठगांठ कर वनभूमि के शासकीय मत की जमीन पर फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया है और बकायदा तहसील पोड़ी उपरोड़ा में बैठे क्रप्ट अधिकारी, आर. आई. पटवारी से मोटी रकम खिला कर शासकीय भूमि को आपने नाम पर दर्ज करा लिया गया हैं। इस संबंध पर प्राप्त जानकारी के अनुसार जटगा में शासकीय जमीन, खसरा नंबर 86/9, 86/13, 86/15 कुल रकबा हेक्टेयर वन अधिकार अभिलेख में दर्ज शासकीय भूमि है

, उसको भू- माफियाओं राजेश सिंह, राकेश सिंह, जितेंद्र सिंह, मंजू सिंह पिता श्याम बिहारी के पुत्रो द्वारा राजस्व अमले से सांठगांठ के जरिये फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार कर क्रप्ट पटवारी ओमप्रकाश कँवर के द्वारा मोटी रकम ले कर शासकीय भूमि को नाम पर दर्ज कर दिया गया। इस प्रकार राजस्व विभाग व भू- माफियाओं की मिलीभगत से शासकीय वनभूमि के दस्तावेज़ों में छेड़छाड़ कर फर्जी दस्तावेज, किसान किताब व खतौनी विवरण फर्जी तरीके से तैयार कर निजी जमीन बता कर इस फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया गया है।आवेदक द्वारा बताया जा रहा है कि हल्का पटवारी व आर आई तथा तहसीलदार और कार्यालय में बैठे नौकरशाहों ने इस कूटरचना में बराबर की सहभागिता निभाई है। ग्राम पंचायत जटगा के अंचल में जितने भी ग्राम आते हैं उनके हित के लिए 18 एकड़ जमीन पर पाली तानाखार पूर्व विधायक रामदयाल उइके द्वारा महाविद्यालय के लिए भूमि पूजन किया गया था और कुछ गरीब किसानो को 50 डिसमिल जमीन भी खेती किसानी के लिए दिया गया था पर भू-माफिया द्वारा उस जमीन पर भी कब्ज़ा कर लिया गया जब की राजस्व दस्तावेज़ों में शासकीय मत की भूमि में दर्ज जमीन का आवंटन को केंद्र शासन की अनुमति के बगैर राज्य शासन के अधिकारी नही कर सकते। हाईकोर्ट ने भी इसमें याचिकाएं खारिज कर दी है, किन्तु यहां पैसों की चकाचौंध के आगे सब मुनासिब हो गया। इसकी प्रशासन स्तर पर निष्पक्ष और इमानदाराना जांच की जरूरत है क्योंकि वनभूमि में जमीन के पंजीयक का कोई प्रावधान नही है, साथ ही राजस्व विभाग की भूमिका को भी जांच के दायरे में समाहित अत्यंत जरूरी है। क्योंकि यह शासन- प्रशासन के नाक नीचे एक कूटरचित कारनामा है। वहीं आवेदक द्वारा कोरबा जिला कलेक्टर को दो बार जानदर्शन में कार्यवाही के लिए आवेदन दिया गया पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं किया गया हैं।

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