पसान : राजनीति की शिकार हो रहें आम आदमी, पसान-मातिन सर्किल घोषणा पर घोषणा नेताओं की भाषण मे तब्दील
लाइव भारत 36न्यूज़ से पोड़ी उपरोड़ा से यशपाल सिंह की रिपोर्ट
कोरबा//पसान:- जिला कोरबा मे बसें अंतिम छोर मे पसान- मातिन आजादी के 76 साल पूरा होने पर भी पसान मातिन क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली की समस्याओं से जूझ रहा है। आदिवासी बाहुल्य तानाखार विधानसभा क्षेत्र के पसान- मातिन क्षेत्र के लगभग 80 गांव के लोगों को जिला मुख्यालय कोरबा सुविधा जनक नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के स्थापना अवसर 10 फरवरी 2020 को घोषणा की थी।
वर्तमान भाजपा सत्ता :-
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के स्थापना अवसर 10 फरवरी 2024 को मरवाही विधानसभा भाजपा विधायक के द्वारा पसान-मातिन क्षेत्र को नवीन जिला गौरला पेंड्रा मरवाही मे शामिल करने की भाषण दिया गया था और इसे पूर्व भी छत्तीसगढ़ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बोला गया था पर 5 वर्ष बीत जाने के बाद भी शामिल नहीं हो पाया आगामी 25 फ़रवरी 2024 को वर्तमान छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ज़ी की प्रथम जिला कोरबा आगमन पर पसान-मातिन क्षेत्रवासी बड़ी भेंट के इंतजार मे हैं कही आदिवासी अंचल क्षेत्र की समस्याओं से रूबरू होते हुए नवीन जिले मे शामिल करने की घोषणा पूर्ण होगा ये इंतजार मे हैं जनता। इसे पूर्व माँग था की पसान-मातिन सर्किल को अलग तहसील बनाकर नए जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में जोड़ने की मनसा था और तहसील बनने के बाद राजनीतिक संतुलन के चक्कर में नीतिगत रूप से यह निर्णय पूरा होने के बाद भी पसान-मातिन क्षेत्र को जिले मे शामिल नहीं किया गया। इसे जनताओं मे निराशा है। वर्षों से सड़क सिंचाई स्वास्थ एवं शिक्षा जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे आदिवासी अंचल के जनताओं उम्मीद थी की घोषणा के अमल में आने से आपने समस्याओ को 130 किलोमीटर कोरबा जिला मुख्यालय न जा कर मात्र 30 – 35 किलोमीटर की दूरी पर गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला मे जाएंगे ये उम्मीद बनी थी पर राजनीति पार्टी वाले तो सिर्फ घोषणा ही करते हैं जूझना तो जनताओं को ही पड़ता है पसान-मातिन के जनताओं की आजादी के 76 वें साल हो गया फिर भी क्षेत्र के जनताओं का तकलीफों से मुक्ति नहीं मिला तो आखिर पसान-मातिन क्षेत्र में ऐसा कौन है जो पसान-मातिन क्षेत्र को पिछड़ा ही रखना चाहता है? जबकि यहां की जरूरत विकास है जो गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले से जुड़ने पर ही पूरी होगी। तो क्या पसान-मातिन क्षेत्र का विकास होने से उनकी राजनीति बंद हो जाएगी? अब जबकि तानाखार विधानसभा क्षेत्र में सत्ताधारी दल के विधायक चुने नहीं गए तो क्या इसके बावजूद भी पसान-मातिन क्षेत्र पिछड़ा ही रहेगा।