स्वसहायता समूह की दीदियों के साथ ने रास्ता किया आसान’
संतेश्वरी अपने गांव की गुलाब महिला स्वसहायता समूह और जय मां लक्ष्मी ग्राम संगठन की सदस्य थी। इसलिए उन्होंने सबसे पहले समूह की दीदियों के साथ मनरेगा के भुगतान में देरी, काम की गुणवत्ता, सृजित संपत्ति के उपयोग और काम की मांग जैसे मुद्दों पर चर्चा शुरू की। उसकी लगातार कोशिशों से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित ग्राम संगठन की बैठकों में मनरेगा चर्चा का नियमित एजेंडा बन गया और सभी ने इससे संबंधित मुद्दों पर ध्यान देना शुरू कर दिया। संतेश्वरी ने समूह की दीदियों को साथ लेकर इन विषयों पर सरपंच, ग्राम रोजगार सहायक, पंचों एवं पंचायत सचिव के साथ ग्रामसभा में भी चर्चा शुरू की।
मनरेगा में मेट और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) में बैंक सखी होने के नाते संतेश्वरी ने श्रमिकों के बैंक खातों से संबंधित त्रुटियों को कम करने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इससे श्रमिकों को मजदूरी भुगतान की राशि अपने खातों में प्राप्त करने में सुविधा हुई। वह बैंक सखी के रूप में हर महीने औसतन 15 लाख रूपये का लेन-देन करती है, जिससे लोगों को गाँव में ही नगद राशि मिल जा रही है। इन सबसे परिस्थितियाँ धीरे-धीरे बदलने लगीं और ग्रामीणों का उस पर विश्वास बढ़ने लगा।
विनोद साहू लाइव भारत 36 न्यूज़ कांकेर