जशपुर जिला


क्रिसमस पर विधायक यू.डी. मिंज का जैव विविधता का संरक्षण का सार्थक संदेशपारिस्थितिक मूल्य ही स्थाई है:-एन.कुजूर
विशेष लेख
श्री एन कुजूर सेवानिवृत्त उपसंचालक
पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी जशपुर

अभी हाल ही में कुनकुरी विधायक संसदीय सचिव ने क्रिसमस गैदरिंग में लोयला महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को क्रिसमस मैसेज देते हुए जैव विविधता,एग्रो टूरिज्म,नेचर टूरिज्म के बारे में अवगत कराया । यह संदेश आज के सभी युवक-युवतियों को आने वाले समय के लिए सचेत रहने की चेतावनी है जैव विविधता,एग्रो टूरिज्म , नेचर टूरिज्म इन सभी को संरक्षण करने की आवश्यकता है और जो जैसे भी स्थिति में है उसे अधिक विकसित करने की आवश्यकता है। यह हमारी पारिस्थितिक पर्यावरण के अभिन्न अंग है जिस पर हमारा ध्यान नहीं जाता है। पूरा मानव जीवन इन्हीं पर्यावरण पर टिका रहता है और उसे हम सामान्य अपने जीवन शैली में उपयोग करते रहते हैं और उन्हें संरक्षित करने की सोच नहीं करते जो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही खतरनाक होगी ।इसलिए विधायक ने युवा साथियों को पारिस्थितिक पर्यावरण के प्रति सचेत रहने का संदेश देकर क्रिसमस संदेश दिया गया है, यह निश्चय ही जशपुर जिले मे एक नई सोच युवा साथियों में विकसित करेगा ।

आइए इन शब्दों पर हम विचार करें और उनके महत्व को समझने की कोशिश करें यह क्यों, कैसे हमारे लिए उपयोगी हैं ।हमारे जीवन शैली के लिए आवश्यकता है साथ ही हमारे आसपास जीवन यापन करने वाले अन्य सभी जीव- जंतुओं , वनस्पतियों, नदी-नाले, पहाड़- पर्वत ,के साथ भी यह पर्यावरण जुड़े हुए हैं। जैव विविधता यह जीवन के बीच पाए जाने वाली विभिन्नता है जो, कि प्रजातियों में, प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्र की विविधता को भी समाहित करती है।
अभी हाल ही में कुनकुरी विधायक और संसदीय सचिव ने क्रिसमस गैदरिंग में लोयला महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को क्रिसमस मैसेज देते हुए जैव विविधता, एग्रो टूरिज्म, नेचर टूरिज्म के बारे में अवगत कराया । यह संदेश आज के सभी युवक-युवतियों को आने वाले समय के लिए सचेत रहने की चेतावनी है जैव विविधता,एग्रो टूरिज्म , नेचर टूरिज्म इन सभी को संरक्षण करने की आवश्यकता है और जो जैसे भी स्थिति में है उसे अधिक विकसित करने की आवश्यकता है यह हमारी पारिस्थितिक पर्यावरण के अभिन्न अंग है ,जिस पर हमारा ध्यान नहीं जाता है। पूरा मानव जीवन इन्हीं पर्यावरण पर टिका रहता है और उसे हम सामान्य अपने जीवन शैली में उपयोग करते रहते हैं और उन्हें संरक्षित करने की सोच नहीं करते जो आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकता है। जैव विविधता यह जीवन के बीच पाए जाने वाली विभिन्नता है जो कि प्रजातियों में, प्रजातियों के बीच और उनकी पारितंत्र की विविधता को भी समाहित करती है। जैव विविधता तीन प्रकार की है। पहला- अनुवांशिक विविधता दूसरा – प्रजातीय विविधता तथा तीसरा- पारितंत्र विविधता । प्रजाति में पाई जाने वाली अनुवांशिक विविधता को अनुवांशिक विविधता के नाम से जाना जाता है। यह अनुवांशिक विविधता जीवो के विभिन्न आवासों में विभिन्न प्रकार के अनुकूलन का परिणाम होती है। प्रजातीय विविधता, प्रजातियों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातीय विविधता के नाम से जाना जाता है। किसी भी विशेष समुदाय अथवा पारितंत्र इकोसिस्टम के उचित कार्य के लिए प्रजातीय विविधता अनिवार्य होता है। पारितंत्र विविधता , विविध जैव भौगोलिक क्षेत्रों जैसे झील मरुस्थल ज्वालामुखी आदि में प्रतिबिंबित होती है मानव सभ्यता के विकास की धुरी , जैव विविधता मुख्यता, आवास विनाश, आवास विखंडन, पर्यावरण प्रदूषण ,विदेशी मूल की वनस्पतियों के आक्रमण, अति शोषण, वन्य जीवों का शिकार, वन विनाश, अति चराए, बीमारी आदि के कारण खतरे में है अतः पारिस्थितिक संतुलन मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति एवं प्राकृतिक आपदाओं, बाढ़- सूखा, भूस्खलन आदि से मुक्ति के लिए जैव विविधता का संरक्षण आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है ।
एग्रो टूरिज्म से तात्पर्य कृषि पर्यटन से है एग्रो टूरिज्म के तहत कृषि से संबंधित गतिविधियों एवं कृषि की प्राचीन विरासत को पर्यटकों के समक्ष मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है इसके तहत पर्यटकों को खेतों के बीच जाकर प्राकृतिक माहौल में फसलों एवं उनके उत्पादों को देखने एवं प्रयोग करने का अवसर प्राप्त होता है । उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों को सेव के बागान में घूमने, रहने ,खाने एवं सेव को तोड़कर, पैकिंग आदि गतिविधियों को प्रत्यक्ष , दिखाने के लिए, पहले से बुकिंग की जाती है। एग्रो टूरिज्म के तहद् किसानों के खेतों में भ्रमण करने एवं रुकने के लिए पर्यटकों को भुगतान करना पड़ता है इससे किसानों को कृषि की आय के अतिरिक्त पर्यटकों से भी आय प्राप्त होती है । वर्तमान समय में पर्यटकों एवं उपभोक्ताओं का रुझान कृषि और खाने में प्राप्त होने वाली वस्तुओं की ओर बढ़ रहा है। यही कारण है कि इन वस्तुओं के उत्पादन स्थानों को वास्तविक रूप से देखने के लिए उत्सुक होते हैं यह उत्सुकता उन्हें एग्रोटूरिज्म की ओर ले जाती है जो किसानों की आय का अतिरिक्त साधन बनता है कहा जा सकता है कि एग्रोटूरिज्म सीधे तौर पर पर्यटकों को कृषि से जोड़ता है साथ ही किसानों के लिए खेती से होने वाली आय के अतिरिक्त आजीविका के नए स्रोत उपलब्ध कराता है। इको टूरिज्म एक प्रकार का पर्यटन है जिसमें प्राकृतिक क्षेत्रों की यात्रा इस प्रकार से कराई जाती है जिसमें वन्य जीवन पर्यावरण और स्थानीय निवासियों को संरक्षित रखा जाए और उन्हें लाभ पहुंचे इसका यह अर्थ होता है कि इन क्षेत्रों को बिना हानि के, भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जाए । पर्यावरणीय पर्यटन से प्राप्त राशि का प्रयोग जल संरक्षण के लिए कराया जाता है ।
नेचर टूरिज्म यह प्राकृतिक आकर्षण वाली मनोरम दृश्यों की विशेषताएं हैं जिनका पर्यटन बाजार में विशेष आकर्षण है । विश्व स्तर पर प्राकृतिक आकर्षण के अनगिनत किस्में है कोई भी दो प्राकृतिक आकर्षण सामान नहीं है क्योंकि आसपास के वातावरण की अनूठी प्राकृतिक शक्तियों द्वारा, आकार दिए गए हैं । प्राकृतिक आकर्षणों में रेगिस्तान क्षेत्र, घास के मैदान, समुद्र , महासागर और नदियां शामिल है साथ ही उनका वर्णन जानवरों-पक्षियों ,कीड़े-मकोड़े में रहने वाले जीव रूप में , शामिल है । जसपुर जिले की संरचना नेचर टूरिज्म के लिए वरदान हो सकती है क्योंकि यहां पर टूरिज्म के रूप में , अनोखे स्थान उपलब्ध है जहां उन्हें विकसित किया जाना संभावित है नदी-नाले, झरने-जलप्रपात, पहाड़- पठार, यह सभी मनोरम स्थल है जहां प्रकृति की अनुपम सौंदर्य प्रतिबिंबित है इन्हें विकसित करने की आवश्यकता है ताकि सभी पर्यटन स्थल पर पर्यटक दर्शन हेतु आ सके। जिसका विश्लेषण विधायक महोदय के द्वारा जसपुर के संदर्भ में किया गया है। जसपुर के पर्यटन स्थलों को सहेजने एवं सवारने का काम आने वाली युवा पीढ़ी को किया जाना है जिसे संरक्षित कर , विकसित कर , उसे सुंदर और मनोरम बनाया जा सके ! इको टूरिज्म एक प्रकार का पर्यटन है जिसमें प्राकृतिक क्षेत्रों की यात्रा, इस प्रकार से कराई जाती है जिसमें वन्य जीवन पर्यावरण और स्थानीय निवासियों को संरक्षित रखा जाए और उन्हें लाभ पहुंचे , इसका यह अर्थ होता है कि इन क्षेत्रों को बिना हानी के ,भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जाए ! पर्यावरणीय पर्यटन से प्राप्त राशि का प्रयोग जल संरक्षण के लिए कराया जाए! जैव विविधता तीन प्रकार की है। पहला- अनुवांशिक विविधता दूसरा – प्रजातीय विविधता तथा तीसरा- पारितंत्र विविधता । प्रजाति में पाई जाने वाली अनुवांशिक विविधता को अनुवांशिक विविधता के नाम से जाना जाता है। यह अनुवांशिक विविधता जीवो के विभिन्न आवासों में विभिन्न प्रकार के अनुकूलन का परिणाम होती है। प्रजातीय विविधता, प्रजातियों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रजातीय विविधता के नाम से जाना जाता है। किसी भी विशेष समुदाय अथवा पारितंत्र इकोसिस्टम के उचित कार्य के लिए प्रजातीय विविधता अनिवार्य होता है। पारितंत्र विविधता , विविध जैव भौगोलिक क्षेत्रों जैसे झील मरुस्थल ज्वालामुखी आदि में प्रतिबिंबित होती है मानव सभ्यता के विकास की धुरी , जैव विविधता मुख्यता, आवास विनाश, आवास विखंडन, पर्यावरण प्रदूषण ,विदेशी मूल की वनस्पतियों के आक्रमण, अति शोषण, वन्य जीवों का शिकार, वन विनाश, अति चराए, बीमारी आदि के कारण खतरे में है अतः पारिस्थितिक संतुलन मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति एवं प्राकृतिक आपदाओं, बाढ़- सूखा, भूस्खलन आदि से मुक्ति के लिए जैव विविधता का संरक्षण आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है ।
एग्रो टूरिज्म से तात्पर्य कृषि पर्यटन से है एग्रो टूरिज्म के तहत कृषि से संबंधित गतिविधियों एवं कृषि की प्राचीन विरासत को पर्यटकों के समक्ष मनोरंजक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है इसके तहत पर्यटकों को खेतों के बीच जाकर प्राकृतिक माहौल में फसलों एवं उनके उत्पादों को देखने एवं प्रयोग करने का अवसर प्राप्त होता है । उदाहरण के लिए हिमाचल प्रदेश में पर्यटकों को सेव के बागान में घूमने, रहने ,खाने एवं सेव को तोड़कर, पैकिंग आदि गतिविधियों को प्रत्यक्ष , दिखाने के लिए, पहले से बुकिंग की जाती है। एग्रो टूरिज्म के तहद् किसानों के खेतों में भ्रमण करने एवं रुकने के लिए पर्यटकों को भुगतान करना पड़ता है इससे किसानों को कृषि की आय के अतिरिक्त पर्यटकों से भी आय प्राप्त होती है । वर्तमान समय में पर्यटकों एवं उपभोक्ताओं का रुझान कृषि और खाने में प्राप्त होने वाली वस्तुओं की ओर बढ़ रहा है। यही कारण है कि इन वस्तुओं के उत्पादन स्थानों को वास्तविक रूप से देखने के लिए उत्सुक होते हैं यह उत्सुकता उन्हें एग्रोटूरिज्म की ओर ले जाती है जो किसानों की आय का अतिरिक्त साधन बनता है कहा जा सकता है कि एग्रोटूरिज्म सीधे तौर पर पर्यटकों को कृषि से जोड़ता है साथ ही किसानों के लिए खेती से होने वाली आय के अतिरिक्त आजीविका के नए स्रोत उपलब्ध कराता है।
नेचर टूरिज्म यह प्राकृतिक आकर्षण वाली मनोरम दृश्यों की विशेषताएं हैं जिनका पर्यटन बाजार में विशेष आकर्षण है । विश्व स्तर पर प्राकृतिक आकर्षण के अनगिनत किस्में है कोई भी दो प्राकृतिक आकर्षण सामान नहीं है क्योंकि आसपास के वातावरण की अनूठी प्राकृतिक शक्तियों द्वारा, आकार दिए गए हैं । प्राकृतिक आकर्षणों में रेगिस्तान क्षेत्र, घास के मैदान, समुद्र , महासागर और नदियां शामिल है साथ ही उनका वर्णन जानवरों-पक्षियों ,कीड़े-मकोड़े में रहने वाले जीव रूप में , शामिल है । जसपुर जिले की संरचना नेचर टूरिज्म के लिए वरदान हो सकती है क्योंकि यहां पर टूरिज्म के रूप में , अनोखे स्थान उपलब्ध है जहां उन्हें विकसित किया जाना संभावित है नदी-नाले, झरने-जलप्रपात, पहाड़- पठार, यह सभी मनोरम स्थल है जहां प्रकृति की अनुपम सौंदर्य प्रतिबिंबित है इन्हें विकसित करने की आवश्यकता है ताकि सभी पर्यटन स्थल पर पर्यटक दर्शन हेतु आ सके। जिसका विश्लेषण विधायक महोदय के द्वारा जसपुर के संदर्भ में किया गया है। जसपुर के पर्यटन स्थलों को सहेजने एवं सवारने का काम आने वाली युवा पीढ़ी को किया जाना है जिसे संरक्षित कर , विकसित कर , उसे सुंदर और मनोरम बनाया जा सके।

लाइव भारत 36 न्यूज से जिला संवाददाता

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