गौठानों में पशुओं को वर्ष भर चारा उपलब्ध कराने की व्यवस्थाहरा चारा हेतु गौठानों में लगाया जा रहा नेपियर घास
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना के अंतर्गत गौठानों में चारागाह विकास के लिए जिले में विशेष पहल किया जा रहा है। कलेक्टर चन्दन कुमार के निर्देशानुसार एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. संजय कन्नौजे के मार्गदर्शन में जिले में स्वीकृत 332 गौठानों में चारागाह विकास कार्य किया जा रहा है, अब तक 284.5 एकड़ भूमि में चारागाह विकास किया जा चुका है। पशुधन विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारी के तकनिकी मार्गदर्शन में गौठान प्रबंधन समिति के स्व-सहायता समूहों द्वारा 02 लाख 42 हजार नेपियर घास रूट स्लिप्स तथा 200 किलो सोरघम (ज्वार) एवं 464 किलो मक्का बीज का बोआई किया गया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए पशुधन विकास विभाग के उप संचालक डॉ. सत्यम मित्रा ने बताया कि चारागाह के सुरक्षा हेतु ग्रामीण एवं पंचायत विकास विभाग द्वारा सिचाई एवं फैंसिंग की जा रही है।
उप संचालक डॉ. मित्रा ने बताया कि चारागाह विकास से पशुओं को वर्षभर चारा की उपलब्ता बनाये रखने हेतु हरा चारा उत्पादन एवं भण्डारण के लिए पशुधन विकास विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारी-कर्मचारी द्वारा सम्मिलित रूप से विकासखण्ड एवं ग्राम स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाकर नेपियर घास के लाभ एवं महत्व को किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नेपियर घास के बोआई से अगामी 04 से 05 वर्षों तक हरा चारा के बोआई में होने वाले व्यय से बचा जा सकता है। यह बहु कटाई वाला हरा चारा है, जिसकी पहली कटाई 60 से 70 दिन के बाद तथा उसके बाद फसल के वृद्धि अनुसार आगे 40 से 45 दिन में दूसरी कटाई हेतु तैयार हो जाता है। वर्षभर में इसकी 03 से 04 कटाई हो जाती है,
जिससे औसतन 1000 से 1500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हरा चारा की उपज प्राप्त होती है। इस व्यवस्था से जिले में आने वाले समय में हरा चारा के उपलब्धता की समस्या से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि हरा चारा उत्पादन से जुड़े स्व-सहायता समूह को भी भविष्य में हरा चारा एवं बीज के विक्रय से होने वाले शुद्ध आय भी प्राप्त होगा।
विनोद साहू लाइव भारत 36 न्यूज़ कांकेर