गुरु बिन ज्ञान कहां”की कहावत को सार्थक करता ग्राम पंचायत रनई का यह शासकीय विद्यालय
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गुरु बिन ज्ञान कहां”प्राथमिक शासकीय विद्यालय रनई में यह कहावत सार्थक रूप में देखने को मिल रही है , लेकिन इस विद्यालय में बच्चे बिना गुरु के ज्ञान अर्जित करते देखने को मिल रहे है , यहां जब देखा गया तो बच्चे क्लास रूम के अंदर स्वयं विद्यार्जन करते मिले।यहां न तो प्रधान पाठक और न ही सहायक शिक्षक कोई भी शिक्षक उपस्थित नहीं मिले ।वहीं बच्चों का कहना है कि हम हर रोज क्लास में बैठकर पढ़ाई करते है ।ऐसे में हम यह भी कह सकते है कि बच्चों के जिंदगी से खेला जा रहा है ,जी हा जैसा कि आए दिन अखबारों में कोरोना से जूझते स्कूल के बच्चों की खबरें सामने आ रही है ऐसे में क्या यह सही है कि बच्चों को क्लास में बैठकर पढ़ाई करवाई जाए , जहां न तो बच्चों ने मास्क लगाया हो न ही महामारी से बचने के कोई उपाय हो । न ही टीचर की उपस्थिति न ही बचाव के उपाय ,ऐसे में यह कहना अनुचित नहीं होगा कि बच्चों के जिंदगी और पढ़ाई के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है जैसा की आप सभी जानते है कॉलेज और हाई स्कूल सहित हॉयर सेकंडरी स्कूल को ही खोलने कि अनुमति दी है ।ऐसे में क्या प्राइमरी स्कूल के ऐसे हालात सही है ।प्रधान पाठक का कहना है कि संकुल से आदेश है , जब संकुल प्रभारी से जानकारी ली गई तो अपने व्यस्त होने की बात कही गई ।जहा बच्चों के लिए मोहल्ला क्लास और ऑनलाइन क्लास की बातें सारे स्कूलों में लागू है वहीं इस स्कूल में विद्यालय क्लास में बच्चे अपनी पढ़ाई कर रहे है साथ ही बिना गुरु के ज्ञान अर्जन कर रहे है ।तो अब बात सामने आती है कि गवर्मेंट ने शिक्षक कि नियुक्ति किया ही क्यूं है ?और माने तो क्या इनके ऊपर के अधिकारियों को स्कूल की सुध लेने की भी जरूरत नहीं है ।अब ऐसे में जिम्मेदार कौन स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ,स्कूल के टीचर या फिर टीचरों के ऊपर गवर्मेंट की सेलरी लेने वाले समन्वयक ,संकुल प्रभारी , बीआरसी या फिर विकाश खंड शिक्षा अधिकारी ?अब देखना ये होगा कि विकाश खंड फरसाबहार के इस कृत्य पर विभाग की आगे की क्या प्रतिक्रिया होगी?बच्चों से ऐसे ही खिलवाड़ जारी रहेगा या फिर विभाग की आंखें खुलेगी और बच्चों का विकाश होगा?ये तो आनेवाला वक़्त ही बताएगा
लाइव भारत 36 न्यूज़ जशपुर से जिला अस्सिस्टेंट ब्यूरो धनी राम यादव