जशपुर जिला

जानिए क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि पर्व… 100 सालों बाद बन रहा है ऐशा संयोग…



जशपुर: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि महापर्व मनाया जाता है. इस साल 11 फरवरी rको यह पर्व मनाया जाएगा. इस बार धनिष्ठा नक्षत्र में शुरू हो रही महाशिवरात्रि में शिव योग भी बन रहा है.
जिससे इस बार त्योहार का महत्व और बढ़ गया है. इस शुभ संयोग के बीच शिवरात्रि में पूजा-अराधना शिव भक्तों के लिए विशेष फल प्राप्ति और कल्याणकारी माना जा रहा है. बता दें कि महाशिवरात्रि पर इन शुभ संयोगों का मिलन करीब 100 साल बाद हो रहा है.
भगवान शिव और देवी पार्वती का हुआ था विवाह0पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरंभ महादेव का विशालकाय स्वरूप अग्निलिंग के उदय से हुआ है.
इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी देवी पार्वती के साथ हुआ था. साल में पड़ने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. महाशिवरात्रि में सायंकाल से लेकर अर्ध रात्रि तक व्रत का विधान है.
दान करने का है खास महत्व
ज्योतिषाचार्य बृजेंद्र शास्त्री के मुताबिक महाशिवरात्रि के पर्व पर संगम स्नान के बाद दान-पुण्य का विधान बताया है. उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि पर भगवान भोले की पूजा-अर्चना से सभी कष्ट दूर होते हैं. महाशिवरात्रि के पर्व का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. गृहस्थों के साथ सन्यासियों के लिए भी महाशिवरात्रि के पर्व का खास महत्व है. इस दिन श्रद्धालुओं को संगम में स्नान कर दान करने का भी विशेष महत्व है.
भगवान शिव को चढ़ाएं ये चीजे
महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान भोले शंकर को प्रिय धतूरा, बेलपत्र, बेर चढ़ाना शुभ माना जाता है. भगवान भोले को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त दूध, गंगा जल, शहद और पंच गव्य से अभिषेक भी करते हैं.
इस मुहुर्त में करें पूजा
ज्योतिषाचार्य पंडित बृजेंद्र मिश्र के मुताबिक 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर चतुर्दशी तिथि शुरू हो रही है, जो अगले दिन 12 मार्च को 3.30 मिनट तक रहेगी. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक 11 मार्च को रात्रि काल में 11: 48 मिनट से 12:37 मिनट तक महानिशीथ काल मिलेगा. जिसमें चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ है महाशिवरात्रि
ईशान संहिता के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान शिव प्रकट हुए थे. जिसमें करोड़ों सूर्य का प्रकाश विद्यमान था. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के व्रत से जीवन में पाप का नाश होता है. साथ ही काल का निवारण केवल महाकाल ही कर सकते हैं. इसलिए इस व्रत को सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ भी माना गया है.
स्कन्द पुराण के मुताबिक शिवरात्रि में किया गया व्रत या उपवास मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. इस मौके पर प्रयागराज के शिवालयों में भी शिव भक्तों की पर धूम मचेगी. माघ मेले के इस आखिरी स्नान पर्व के साथ ही संगम की रेती पर 57 दिनों तक चले माघ मेले का भी समापन हो जायेगा.


लाइव भारत 36 न्यूज़ से जिला ब्यूरो चीफ गणेश राम बंजारा

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