जांजगीर-चांपा

लवसरा धान खरीदी प्रभारी की भारी लापरवाही लाखों रुपया का धान पानी मे सड़ रहा

जांजगीर चांपा जिले के सक्ती में बेमौसम बरसात ने लवसरा मंडी प्रभारी की पोल खोल कर रख दी है कि किस कदर शासन के पैसों को मंडी प्रभारी डाकर गए और धान के बचाव के लिए व्यवस्था करना ही भूल गए बुधवार की रात्रि से हो रही बारिश ने क्षेत्र को त तरबतर कर दिया है। शासन से मिलने वाली राशि का सदुपयोग नहीं होने की वजह से लवसरा धान उपार्जन केंद्र में रखा हजारों क्विंटल धान पानी में भीग कर बर्बाद हो रहा है।आपको बता दे की यह पर 33130.80क्विंटल धान की खरीदी हुआ है और 5830.80 धान का आज तक उठाव ना होना भारी समस्या बन गया है लेकिन बारिश से बचाने के लिए शासन द्वारा दी जाने वाली राशि का यदि सदुपयोग किया जाता तो धान को बचाया जा सकता था। लेकिन पर्याप्त इंतजाम नहीं होने की वजह से दिन और रात धान भीगता रहा। बफर लिमिट से अधिक धान केंद्र में जाम होने का बहाना लिए प्रभारी इतना बोल कर हाथ खड़े कर दे रहे हैं कि जितना हमसे हो सकता था उतना इंतजाम हमने कर दिया है
बुधवार को होती रही बारिश के बीच जब उपार्जन केंद्र का निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि धान के काफी बोरे खुले आसमान के नीचे बारिश में भीगते रहे। प्रभारी भी अपने उपार्जन केंद्र में मौजूद नहीं थे। इस संबंध में जब धान खरीदी प्रभारी अरविंद तिवारी से फोन पर चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि जितने इंतजाम हो सकते थे उतना कर दिया गया है। अब सवाल यहां पर यह खड़ा होता है कि आखिर शासन की लापरवाही मानी जाए या प्रभारी की। आखिरकार लाखों रुपए का धान इस कदर भीग रहा है। धान की भूसी का प्रयोग स्टेक के नीचे नहीं किया गया है जिस कारण भूमि का पानी धान के बोरे के अंदर घुसने की पूरी संभावना है। धान खरीदी 31 जनवरी तक की गई है। इसके बाद से हजारों क्विंटल धान अभी भी केंद्रों में जाम पड़ा हुआ है। देखने को मिल रहा है कि धान पानी से भीग रहा है और प्रभारी केवल उसे देख कर अपनी मजबूरी का रोना रो रहे हैं। भीगते हुए धान के बोरों को देखने से यही सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार किसकी लापरवाही है जो हजारों क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे लगातार भीग रहा है और बर्बादी की कगार पर पहुंच रहा है। वही आखिर इस तरह के मंडी में जिम्मेदार अधिकारियों की नजर कब पड़ेगी यह देखने वाली बात होगी

रख रखाव में बरती गई लापरवाही का नतीजा –

उपार्जन केंद्र में धान का सुव्यवस्थित तौर पर रखरखाव भी नहीं किया गया है। फटी पुरानी बोरियों का इस्तेमाल इस प्रकार किया गया है की पूरा धान बाहर आ रहा है। उच्च अधिकारियों के द्वारा दौरा कार्यक्रम कर केवल खानापूर्ति की जाती है

लापरवाही ओं को देखकर अधिकारी जानबूझकर आंखें बंद लेते हैं या फिर उनकी मजबूरी होती है। लवसरा उपार्जन केंद्र इस वर्ष धान खरीदी के समय में कई बार विवादित रह चुका है। किसानों के साथ दुर्व्यवहार व विवाद की स्थिति कई बार निर्मित हुई। बहरहाल प्रबुद्ध लोगों के बीच बचाव के कारण विवादित स्थिति को सम्हाला गया।

लाइव भारत36 न्यूज़ से विजय धिरहे

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