पचपेड़ी सरपंच के ख़िलाफ़ पंचों ने 14 वें वित्त के गबन का लगाया आरोप..

कहने को सरपंच ग्राम प्रमुख होता है, और कहा भी गया है “मुखिया मुख सो चाहिए, खान पान को एक..” लेकिन जब मुखिया पर ही अवैध कब्जा,अवैध मकान निर्माण, और सरकारी राशि के गमन के आरोप लगे तो यह चिंतनीय हो जाती है।
हम बात कर रहे हैं सारंगढ़ तहसील से लगे ग्राम पचपेड़ी की जहां सरपंच सरोज कुर्रे के विरुद्ध ग्रामीण, पंचो ने अवैध निर्माण 14 वें वित्त की राशि सहित अन्य गम्भीर आरोप तहसीलदार और एस. डी. एम. के समक्ष लगाया है।

ग्रामीणों के अनुसार:-
अनुविभागीय दण्डाधिकारी सारंगढ़ को शिकायत में कहा गया है कि ग्राम पंचायत पचपेडी के सरपंच श्रीमति सरोज कुर्रे ग्राम- पचपेड़ी -सारंगढ़, जिला-रायगढ़ छ 0ग0 द्वारा अमहा तालाब के मेडपार में अबैध रूप से बेजा कजा कर गृह निर्माण किया है उसके उपरांत लगातार अपने बेजा कब्जा मकान को बड़ा स्वरूप दिया जा रहा है ,जबकि निर्वाचन के वक्त प्रोफार्मा में सरपंच के नीजी भूमि में मकान एवं शौचालय के संदर्भ में उल्लेख रहता है जबकि सरपंच सरोज कुर्रे द्वारा इस तथ्य को छुपाया गया है तब जाकर निर्वाचन में फार्म को सही पाया जाकर चुनाव लड़ने हेतु निर्वाचन आयोग द्वारा मंजूरी प्राप्त हुआ, परन्तु गाँव में सरोज का मकान बेजा कब्जा तो है ही साथ मे उसके घर के सामने सार्वजनिक हेण्ड पम्प को निकाल कर सायरन बोर पम्प डाला गया अपने घरेलू उपयोग के लिए..! तब जाकर ग्रामीण एवं पंचो द्वारा मनाही करने पर भी मानने को तैयार नही है इससे गाँव में माहौल खराब हो गया है। अतः एस डी एम सारंगढ़ से निवेदन किया गया है कि जांच कर उचित कार्यवाही की मांग की है।

मुख्य कार्यपालन अधिकारी को भी शिकायत:-
शिकायत के अनुसार ग्राम पंचायत पचपेड़ी में वर्तमान में सरपंच, उपसरपंच एवं 11 पंच हैं, अर्थात् कुल 13 पंचायत पदाधिकारी हैं और इसमें से सरपंच के पक्ष में 04 पंच है, बाकी 07 पंच उपसरपंच के साथ है। इसके बावजूद ग्राम पंचायत के बैठक में सर्व सहमति से पारित


प्रस्तावों के आधार पर राशि आहरण सरपंच एवं सचिव द्वारा किया जा रहा है लेकिन उक्त आहरित राशि से ग्राम पंचायत में काम नहीं किया जा रहा है अर्थात् वर्तमान में 14 वें वित आयोग
मद से PFMS के माध्यम से राशि भुगतान किया गया है परंतु उपरपंच एवमं ग्रामीणों के अनुसार उक्त राशि से कोई कार्य करवाया नहीं गया है तथा ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से एस.बी.एम. शौचालय
निर्माण भी नहीं किया जा रहा है, इस कारण से राशि आहरण पर रोक लगाई जावे।
अतः जनपद सीईओ से निवेदन किया गया है कि ग्राम पंचायत पचपेड़ी के बैंक खातों से राशि आहरण पर रोक लगाने के लिए आवेदन किया है।

कोरोना काल मे पैसे की बंदरबाट और 14 वें वित्त में गबन का भी लगाया आरोप:-

जनपद सीईओ को लिखित शिकायत के अनुसार ग्राम पंचायत पचपेड़ी में मूलभूत एवं चौदवें वित्त की राशि
468000/-(चार लाख अड़सठ हजार रू) से अधिक था जहाँ सरपंच सचिव की उपस्थिति में
पंचगण जो 12 पंचों द्वारा पंचायत प्रस्ताव पास किया जिसमें कोरोना हेतु प्रवासी मजदूरों के लिए खान-पान राशि, बोर, बोरिंग,विद्युत,पंचायत भवन में कुर्सी, टेबल एवं विकास कार्य हेतु प्रस्ताव पारित किया गया उसके उपरांत सरपंच सचिव द्वारा 2-3 लाख आहरण कर लिया


गया है जिसमें सिर्फ 04 पंचों को जानकारी दिया जा रहा है और उपसरपंच एवं 07 पंचों कों
किसी भी कार्य की जानकारी नहीं दिया जा रहा है पूछने पर राशि नहीं निकाली है कि बात
कही जा रहीं हैं आपको बार-बार मौखिक एवं लिखित
शिकायत किया गया है जहाँ आपने त्वरित कार्यवाही करते हुए बैंकों में होल्ड हेतु पत्र लिखा
इसके लिए पंचगण आपको धन्यवाद देते है, परन्तु कोरोना में खाने पीने हेतु मजदूरों के
लिए जो राशि लगी है उसे छोड़कर किसी भी प्रकार के कार्यों को नहीं किया गया है। इस बात की जांच की मांग उपरपंच और पंचो द्वारा किया गया है।

उपसरपंच और 7 पंचो की अनदेखी कर सिर्फ 4 पंचो के जानकारी में कराया जा रहा कार्य..!:-

उपरपंच और पंचो के अनुसार सरपंच का घर जो कि तालाब किनारे बेजा कब्जा कर घर बनाया गया है और दिन ब दिन घर को बड़ा स्वरूप दिया जा रहा है और शासकीय बोरिंग को निकालकर स्वयं के घर उपयोग हेतु बोरिंग की जगह पम्प डाला गया जिसको गांव के लोग एवं पंचगण द्वारा कहने के उपरांत पम्प को नही निकाला गया अभी वर्तमान में सांसद मद से पूर्व सरपंच के कार्यकाल से स्वीकृत राशि से भी सी.सी. रोड निर्माण प्रस्तावित है जिसे कार्य के लिए तालाब मेड़ पार में जेसीबी द्वारा समतलीकरण किया गया परन्तु उपसरपंच एवं 07 पंचों को कार्य की जानकारी नहीं दिया जा रहा है एवं कार्य को करवाने के लिए पूछा भी नहीं जा रहा है हमारी
अनदेखी हो रही है।

नबहरहाल किसी एक सरपंच पर पंचो और ग्रामीणों द्वारा अनेक गम्भीर आरोप लगाया जाना गम्भीरतापूर्वक सोचने का विषय है, जिसमे उचित जांच कर निष्पक्ष जांच अनिवार्य और अविलंब होने की आवश्यकता है। ताकि ग्रामीणों एवं अन्य क्षेत्रवासियों को प्रशासनिक कार्यवाही पर विश्वास बनी रहे, एवमं ग्राम पंचायत का विकास कार्य हो सके।

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