रायगढ़

बेतरतीब औद्योगीकरण की भेंट चढ़े प्रधानमंत्री सड़क योजना के सराईपाली जमडबरी पुंजीपथरा मार्ग

लाइव भारत 36न्यूज से देवचरण भगत की रिपोर्ट

रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के सराईपाली से जमडबरी गाँव के पास सड़क पर बल्ली और बांस से बड़ी गाड़ियों का आवागमन रोकने के लिए अवरोध बनाया गया है! पूंछने पर पता चला कि खराब हो चुकी सड़क और प्रदूषण से परेशान होकर गाँव के लोगों ने ऐसा किया है! दरअसल जमडबरी गाँव के संपर्क मार्ग का निर्माण प्रधानमंत्री सड़क योजना के अन्तर्गत हुआ था! यह सड़क घने जंगल के बीच से होकर गुजरती है! प्रधानमंत्री सड़क मार्ग पर 12 टन से ऊपर के वाहनों पर प्रतिबंध होता है! लेकिन यहाँ पर कोई पूंछने वाला नहीं है!
विकास के नाम पर बेतरतीब औद्योगीकरण के चलते इस सड़क पर भारी वाहनों का आवागमन हमेशा लगा रहता है, जिसके कारण आज के समय में इस सड़क का नामोनिशान तक नहीं है!


जमडबरी गाँव से सराईपाली जाने वाले संपर्क मार्ग पर लगभग आधा दर्जन छोटे- बड़े स्टील एवं उससे संबंधित अन्य उत्पादों के उद्योग संचालित हैं! यहीं से लगभग दो-ढाई किलोमीटर की दूरी पर ही पूंजीपथरा औद्योगिक क्षेत्र है! पूंजी पथरा औद्योगिक क्षेत्र में पचासों स्टील प्लांट हैं! इन फैक्टरियों से एक- दूसरी फैक्ट्री में माल का परिवहन जमडबरी मार्ग से होता है! इस मार्ग पर ओवरलोड भारी वाहन दिन -रात दौड़ते रहते हैं! इस कारण से सड़क पूरी तरह उखड़ चुकी है! उद्योगों की गाड़ियां सड़क के गड्ढों में न फंसे इसके लिए उद्योगों के संचालक लोहे के स्लेग और औद्योगिक कचरे को गड्ढों में भरकर सड़क को लेवल में कर देते हैं! इस मार्ग पर दिन भर लोग मैग्नेट से मेटल इकट्ठा करते रहते हैं! दरअसल गाड़ियों के आवागमन से सड़क पर डाला गया स्टील का स्लेग चक्कों के नीचे क्रश हो जाता है! इससे मेटल अलग हो जाता है! जिसको लोग मैग्नेट से अलग कर लेते हैं!


इस मार्ग पर दिन- रात ओवरलोड वाहनों के गुजरने से भंयकर एवं खतरनाक धूल का गुबार उड़ता है! इस धूल के गुबार से, मेटल, सिल्का,सल्फर, कार्बन सहित तमाम खतरनाक तत्व के साथ ही अनेक प्रकार के केमिकल का अंश हवा में मिल जाता है, जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है! जमडबरी गाँव के लोग इस संबंध में उद्योग मालिकों से कई बार बात कर चुके हैं! लेकिन कोरे आश्वासन के सिवा कुछ होता नहीं है!
ऐसा नहीं है कि बेतरतीब ढंग से लगे उद्योगों के कारण इसी एक सड़क की ही दशा ऐसी हुई है, बल्कि पाली, पूंजीपथरा, सराईपाली,देलारी, गेरवानी, तराईमाल सहित तमाम गावों की प्रधानमंत्री योजना के अन्तर्गत बनाई गई पक्की सड़कें या तो भारी वाहनों की भेंट चढ़कर खराब हो चुकी या सड़कों का नामोनिशान गायब है! स्थानीय गाँव के लोग एक तरफ उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाले विषैले धुएं से परेशान हैं तो दूसरी तरफ सड़कों की धूल से! आज हालत यह है कि लोग तमाम प्रकार की असाध्य बीमारियों से ग्रसित होकर असमय काल-कवलित हो रहे हैं!


छत्तीसगढ़ का उद्योग विभाग भी इन खराब सड़कों के लिए कम जिम्मेदार नहीं है! बिना छानबीन के किस आधार उद्योगपतियों को ग्रामीण अंचलों में उद्योग संचालित करने की जिम्मेदारी दी जाती है..? यह एक यक्ष प्रश्न है! उद्योग लगाने वालों से औद्योगिक परिवहन के लिए मार्ग की जानकारी को लेकर उसका सत्यापन क्यों नहीं किया जाता है.क्या इसका कोई नियम कानून नहीं है।
जमडबरी मार्ग की दुर्दशा को लेकर वन विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है! वन विभाग के नुमाइंदे ग्रामीणों से जलावन की लकड़ियों को पकड़ने में तो उस्ताद होते हैं! लेकिन उनकी आखों के सामनें दिन-रात वन विभाग की जमीन पर जंगल के अंदर से गुजरी सड़क पर भारी वाहन दौड़ते रहते हैं, ये लोग जानबूझकर अपनी आँखों को बंद कर लेते हैं!

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