इलाज की पाठशाला में इलाज करने वाले गुम 24 घंटे डिलीवरी सुविधा फेल कर्मचारी rho झांकते तक नहीं ….

⭕ RHO पूर्णिमा साहू की जमकर मनमानी….
ड्यूटी से रहती है नदारद……

मरीज खुद कहते हैं, यहां के भरोसे मत रहो, बड़े अस्पताल में इलाज कराओ.….
बिलाईगढ़ के झुमका में मेडिकल ऑफिसर RHO पूर्णिमा साहू अपनी ड्यूटी से नदारद, इसलिए हो रही काफी परेशानी…
कई जगह का भ्रमण कार्यक्रम है, कहां-कहां संभालू- RHO

RHO को उप स्वास्थ्य केंद्र पर में ही को रहने को कहा है- स्वास्थ्य विभाग..

उप स्वास्थ्य केंद्रों को लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही मरीजों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। जिन स्थानों में ये अस्पताल स्थापित हैं वहां सेटअप के हिसाब से न तो कोई व्यवस्था है और न ही डॉक्टर व स्टॉफ ही ईमानदारी से काम कर रहे है। इन अस्पतालों में 24 घंटे डिलिवरी सुविधा मिलनी चाहिए पर यह महज नियम तक सिमट कर रह गया है। हकीकत में ग्रामीणों को या तो शहर के अस्पतालों में आकर डिलिवरी करानी पड़ रही है या फिर मजबूरी में घर में ही प्रसूति हो रही है। ऐसे में शासन के संस्थागत डिलिवरी के दावे झूठे साबित हो रहे हैं।

शासन ने अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने जनसंख्या के हिसाब से छोटे-बड़े गांव में स्वास्थ केंद्र की स्थापना की है। इस क्रम में 5 हजार तक की आबादी पर उप-स्वास्थ्य केंद्र व 15 हजार की आबादी पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोल रखा है। इसके अलावा दूरदराज में ग्रामीण क्षेत्रों में घर पहुंच स्वास्थ्य सुविधाएं मितानिन व महिला-पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। इतना सब कुछ होने के बाद भी स्थानीय स्तर पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। प्राथमिक इलाज तक के लिए उन्हें या तो झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे ही रहना पड़ रहा है।

ड्रेसर न होने से मरहमम-पट्टी ही नहीं हो पा रही
ग्रामीणों के अनुसार अस्पताल में कोई ड्रेसर ही नहीं है। ऐसे में चोट लगने पर उनकी मरह-पट्टी तक नहीं हो पा रही है। डॉक्टर अगर अस्पताल मेंं मौजूद रहे तो दवा लिख देते हैं, बाकी काम पीड़ित को स्वयं करना पड़ता है।

प्रसूता को बोलना पड़ता है कि यहां के इंतजाम बेकार, शहर ही बेहतर गौरतलब हो कि झुमका
उप स्वास्थ्य केंद्र में आजतक एक भी प्रसूति का डिलीवरी नहीं हुआ है- (सूत्र)

झुमका के रहने वाले एक बुजुर्ग बताते हैं कि झुमका उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति पूरी तरह बदहाल है यहां डॉक्टरों के आने का कोई समय ही नहीं है। दोपहर दो बजे के बाद अस्पताल बंद हो जाता है। उसके बाद डिलिवरी के लिए आई प्रसूताओं को लौटना पड़ता है। प्रसूता दर्द से छटपटाते हुए यहां आती हैं और बोलना पड़ता है कि बच्चे की जान बचाने के लिए बड़ा अस्पताल सरसींवा या बिलाईगढ़ ठीक है।

हद तो तब हो गई जब एक बुजुर्ग ने अपने दर्द को बयां करते हुए बताया कि यहाँ के RHO 5 महीने से केंद्र आते ही नहीं है और इलाज के नाम से वे उप स्वास्थ्य केंद्र के बाहर इंतजार कर घर को लौट चलता है…

उप प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का ओ.पी.डी. खुलने का समय सुबह 10 से शाम 5 बजे है। परन्तु उप स्वास्थ्य केंद्र झुमका की ओपीडी 10 बजे से पहले नहीं शुरू होती और दोपहर 2 बजे के बाद बंद हो जाती है।

ग्रामीण एक महिला ने बताया कि

ओपीडी के समय नियमित रूप से डॉक्टर ही नहीं रहते। सर्दी-खांसी तक क सरकारी दवाएं नहीं मिल पा रहीं। ऐसे अस्पताल होने से अच्छा है न हो। कम से कम इससे मरीजों को यहां से इलाज की उम्मीद तो नहीं रहेगी।

⭕ ओपीडी से डॉक्टर आउट, कहां जाएं पीड़ित व परिजन –

प्रसूताओं के लिए उचित बेड होने चाहिए, पर यहां नही के समान बेड ही उपलब्ध हैं। यानी 2 प्रसूताओं के बाद अगर तीसरी प्रसूता डिलिवरी के लिए पहुंची तो उसे यहां से जाना होगा। ग्रामीण युवक के अनुसार यहां न तो समय पर और न नियमित रूप से डॉक्टर पहुंचते। RHO न होने पर प्रसव के लिए बिलाईगढ़ या सरसींवा अस्पताल ही जाना पड़ रहा है। दिन में भी बेड खाली है तो ठीक, अन्यथा शहर ही भागना पड़ रहा है। वैसे भी RHO की देखरेख में डिलिवरी न होने की दशा में ज्यादातर ग्रामीण खतरा उठाने से बेहतर सरसींवा बिलाईगढ़ या निजी अस्पताल ही जा रहे हैं।

24 घंटे प्रसूति सुविधा वाला यह उप स्वास्थ्य केंद्र न तो चौबीस घंटे खुल रहा और न ही यहां सेटअप के हिसाब से बेड हैं। न्यूनतम बेड रख कर काम चलाया जा रहा है। इस तरह संस्थागत प्रसव की संल्पना कहां ❓ से सार्थक हो सकती है। यह केंद्र की स्थिति देख कर ही पता लग जाएगा। गुरुवार को हमारी मीडिया टीम का निरीक्षण करने पर मिला कि उप स्वास्थ्य केंद्र के मुख्य गेट पर से बाहर से ताला लगा हुआ है। ताला देखकर मरीज तो बाहर से ही लौट रहे हैं,

शहर से करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम झुमका उप स्वास्थ्य केंद्र एक सेक्टर है। जिसके अंतर्गत झुमका,चारभांठा,बछोरडीह, पिपरडुला भी आते हैं। यहां RHO पूर्णिमा साहू व रूपेश खूंटे पदस्थ हैं। नियमानुसार दोनों को पदस्थापना मुख्यालय यान उप स्वास्थ्य केंद्र झुमका में ही स्थाई रूप से रहना है, पर ये अपने निजी निवास से आना-जाना करते हैं।

हद तो तब होती है की ओपीडी के बाद प्रसूति के समय गंभीर स्थिति ने निपटने कोई डॉक्टर उपलब्ध न होने से डिलिवरी कराना मौत से खेलने जैसा है।

⭕ उप स्वास्थ्य केंद्र- झुमका
सी.एम एच.ओ. ने कहा- मैं लगातार व्यवस्था बनाने में प्रयासरत, जल्द होगा निरीक्षण, स्थिति सुधारेंगे व जांच कर उचित कार्यवाही करने का आश्वाशन दिए…

शासन के सख्त निर्देश के बाद भी पीएचसी, सीएचसी के डॉक्टर व स्टाफ अपने पदस्थापना स्थल पर नहीं रह रहे? आखिर कब तक यह स्थिति बनी रहेगी?

सतधनु सारथी के रिपोर्टसतधनु सारथी के रिपोर्ट

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