बड़ी कंपनियों को टक्कर देने में लगी गांव की महिला…
एंचूल्हा-चौका के साथ कम क़ीमत के एलईडी बल्ब बनाकर घरों को दे रही रोशनी बत्ती जाने पर तीन घंटे करते उजाला,6 माह की गारंटी भी
महासमुंद 27 सितंबर 2021/ आजकल देश में इलेक्ट्रॉनिक बाजार में मशहूर मल्टी नेशनल कंपनियों के बीच बड़ी प्रतिस्पर्धा है। लेकिन अब आपको जानकर हैरानी होगी कि महासमुंद जिले के ब्लॉक बागबहारा के ग्राम मरार कसही बाहरा में बिहान के अंतर्गत गठित सखी सहेली समूह स्व सहायता समूह की ग्रामीण इलाके की कुछ घरेलू महिलाओं ने अपने हौंसलों के दम पर इन कंपनियों को कड़ी टक्कर देने में जुटी हैं। स्वसहायता समूहों को मार्केटिंग के स्तर पर थोड़ा और सरकार का साथ मिल जाए, तो ये महिलाएं अंधरे को रोशनी में तब्दील कर सकती हैं। वैसे शासन और ज़िला प्रशासन इनका ज़रूरी पूरा सहयोग कर रहा है। श्रीमती राजेश्वरी चंद्राकर और यशवानी साहू सखी सहेली स्वयं सहायता समूह का हिस्सा है,जो अपने दम पर कई जगह रोशनी बांट रही हैं,ग्राम मरार कसही 10-12 महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह है। जिन्होंने हाल ही में एलईडी बल्ब, बैटरी बल्ब (बत्ती जाने पर 3 घंटे रोशनी) देते है । बिजली की माला, नाइट लैम्प झूमर बनाने का काम शुरू किया और 15-20 दिन में 10 हज़ार के बल्ब बेचें । समूह की अध्यक्ष श्रीमती राजेश्वरी ने बताया कि उन्हें उनके पति और उनके पारिवारिक मित्र से इसका प्रशिक्षण (ट्रेनिंग) ली । वे रॉ मैटेरियल यानी कच्चा माल दिल्ली से लायी है। जिसके बाद महिलाएं खुद इनको असेम्बल करने में जुट जाती हैं. ये महिलाएं सस्ते दाम पर एलईडी बल्ब,बैटरी बल्ब जो बिजली जाने के बाद भी 3 घंटे तक रोशनी देते है बनाती है । इसके अलावा कलरफूल,नाइट लैम्प बिजली की झालर औऱ झूमर तैयार कर रही हैं, जिसकी चमक इन महिलाओं के चेहरे पर देखी जा सकती है। उन्होंने बताया कि वे 9 वॉट का एलईटी बल्ब 30 रुपए का और बेटरी बल्ब की क़ीमत 270 रुपए है । बैटरी बल्ब की 6 माह की गारंटी भी देती है । वे बताती है प्रचार के लिए दो लड़के भी रखें है जो गाँव-बाज़ार में इसका प्रचार और मार्केट उपलब्ध कराने में मदद कर रहे है । जिन महिलाओं के हाथ कभी चूल्हा-चौका,खेती किसानी तक ही सीमित रहते थे, वो आज दूसरों को रोशनी देने का काम भी कर रहे हैं। महिलाओं को आशा है कि सरकार मार्केट के स्तर पर इन लोगों के लिए कुछ बेहतर पहल करें, ताकि ये महिलाएं भी बड़ी-बड़ी कंपनियों को मात दे सके।उनका कहना है ज़िला प्रशासन सरकारी कार्यालय,स्कूल, शाला आश्रमों और कालेज आदि में बनाए गए बल्ब ख़रीदने के निर्देश दें। यह सस्ते और लाइट जाने पर तीन घंटे तक रोशनी देते है । जिन ग्रामीण महिलाओं के हाथ कभी चूल्हे -चौका खेती-किसानी तक ही सीमित रहते थे, वो आज दूसरों को रोशनी देने का काम भी कर रहे है । महिलाओं को आशा है कि सरकार मार्केट के स्तर और कुछ बेहतर पहल करें। ताकि वे भी बड़ी-बड़ी कंपनियों को मात दे सके। ये महिलाएं अपने दम पर एलईडी बल्ब समेत अन्य आइटम खुद असेम्बल कर रही हैं, जिनकी सप्लाई ज़िले और आसपास के ज़िलों तक की जाने की तैयारी है। समूह में जुड़ने से पहले अधिकांश सदस्य खेती मजदूरी का काम कर रही थी। बिहान से जुड़कर सभी महिला सदस्य नियमित बचत,बैठक आदि करती थी एवं सदस्य व्यक्तिगत कार्य के अलावा सामूहिक आजीविका करने हेतु तत्पर थी। अच्छे समूह का पहचान पाकर बिहान क्रेडर द्वारा इन समूह का आर एफ 150000 फॉर्म भरा तथा सीआईएफ 60000 फॉर्म भरकर उन्हें लाभ प्राप्त करवाया। इस राशि में से सखी सहेली समूह एलईडी लाईट बनाने का कार्य शुरू किया। लेकिन इन्हें इसके लिए और राशि की आवश्यकता हुई एफएलसीआरपी द्वारा इस समूह को बैंक लिंकेज एक लाख रुपए बैंक द्वारा प्राप्त हुआ तथा रिन्यूअल दो लाख का भी कराया और आज इनका समूह बड़ी बजट में एलईडी लाईट बनाने का कार्य कर रही हैं। सखी सहेली समूह के सभी सदस्य अपने स्तर में गांव -गांव जाकर प्रचार प्रसार भी कर रहे हैं। साथ ही जनपद पंचायत बागबाहरा में जनपद अध्यक्ष,सीईओ एवं अन्य विभागों में प्रचार प्रसार किया जा रहा है तथा बिक्री भी हो रही है। सखी सहेली समूह की दीदियों का कहना है कि आज हमारा समूह जो भी कार्य कर रहा है बिहान का महत्वपूर्ण योगदान है।बस सरकार से और मदद की उम्मीद कर रही है। बनाई गयी सामग्री पर ब्रांड का उल्लेख नही होने से सामग्री बिक्री में थोड़ी दिक़्क़त है। सामग्री पर नाम अंकित करने के लिए एक प्रिंटर की ज़रूरत है। जिसकी क़ीमत लगभग ढाई लाख रुपए है ।उन्होंने इसके लिए ज़िला पंचायत और प्रशासन से प्रिंटर के लिए राशि का आग्रह किया है ताकि इसकी विश्वनियता और बढ़े ।
लोचन चौधरी की रिपोर्ट…