जांजगीर-चांपा

एक दिन के लिए भी बन्द क्यूँ, तोड़ निकालिये लॉकडाउन का- लालू गबेल

जांजगीर चाम्पा- मालखरौदा सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने कहा की आम जनताा पर क्या गुजर रही इसका भी जमीनी हकीकत झांकिए।
गरीब मध्यमवर्गीय लोग इस कोरोना की भँवर से पांच दस साल उबर नहीं पाएंगे।
ऊपर से तमाम वस्तु में ब्लैक और महगाई कर जनता का पूर्ण शोषण सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने कोरोना काल से अब तक गरीब,मध्यमवर्गीय और आम लोगो की दुर्दशा की जमीनी हकीकत को स्पष्ट रूप से सामने ला दिया है और कहा कि एक दिन भी बंद क्यूँ, लॉकडाउन का कोई तोड़ क्यूँ नही निकालते।
लालू गबेल ने कहा कि इस कोरोना महामारी में लॉकडाउन और अनलॉक का खेल कब तक चलता रहेगा। शासन प्रशासन इसका कोई ठोस तोड़ क्यूँ नही निकालती, कब तक गरीब मध्यमवर्गीय और आम जनता इसके शोषण होते रहेंगे। मार्च 2020 से कोरोना का कहर और लॉकडाउन का शिलशिला शुरू हुआ तब से क्या बताएं एकाएक जीने की जरूरतो की समान राशन पानी आदि में ब्लैक मार्केटिंग ऐसा शरू हुआ कि लोगो के होश उड़ गए और ऊपर से गरीब आमलोगो के रोजगार हेतु हाथ पैर बन्द हो गए यहाँ तक कि छोटे किसानों के स्थानीय उत्पादन सब्जी आदि बिकना तो दूर सड़को पर फेकना भी देखा गया जिसका कोई मोल नही और ये शिलशिला आज एक साल तीन महीना पार होने को है जहां ऊंचे व्यापारियों और उधोगपतियों के उत्पादनों के भाव इतने बढ़ गए है जिस पर शासन प्रशासन का ध्यान कभी नही गया। हर बड़े व्यापारी इस महामारी को अवसर में बदल दिए जहाँ आम लोगो का दिन गुजरना भी मुश्किल है। कोरोना काल मे कैसे लूट मची है उसका मुझे विस्तार रखने की भी जरूरत नही सब जानते है। पर कभी उन बेबस गरीब, मध्यमवर्गीय आम लोगो के बारे में शासन प्रशासन ने कुछ नही सोचा अभी तक। जिनको परिस्थितियों को संभालने पांच से दस साल लग जाएंगे।
राशन से लेकर हॉस्पिटल, दवाई, छड़ सीमेंट, कृषि दवाई और उपकरण आदि सभी के दाम इतने हो गए है कि लोगो की समस्या गिन पाना मुश्किल है। सबसे ज्यादा आम गरीब लोगो की लत नशे की किम्मत तो पूछो ही मत, एक गुड़ाखू के दाम डबल हो गए है, ना जाने कोरोना काल मे क्या अमृत मिलाकर दाम बढ़ाये है।
एक साल से भी ऊपर मजदूरी से लेकर तमाम तरह के रोजगार छीन जाने वालों की जमीनी हकीकत के पन्ने बहुत लंबे है।
आखिर शासन प्रशासन इन सब को क्यों ध्यान नही देती क्या सारा शोषण आम लोगो के ही हक में है, कोरोना से आम जनजीवन में क्या माहौल है किसी को सुध नहीं। और ऊपर से कोरोना की इस भंवर जाल को तोड़ने अभी तक कोई सार्थक प्रयास नही। जब टिकाकरण के अलावा कोई उपाय ही नही, कोरोना का टिकाकरण ही एकमात्र तोड़ है तो उसको भी पूर्ण रूप से सिथिल कर अवसर में बदल रहे। जहाँ पैसों वालो के लिए निजी हॉस्पिटलों में वैक्सीन उपलब्ध है। और आम आदमी वैक्सीन के लिए तरस रहे।
अनलॉक के कुछ दिन बाद कोरोना फिर बढ़ेगा तो फिर लॉकडाउन कर देंगे और आम लोग मरते रहेंगे, शासन प्रशासन कम से कम उन स्कूली बच्चों के भविष्य को भी सोच कर कुछ ठोस कदम उठाते लेकिन नही। और क्या एक दिन के ही लॉकडाउन मात्र से कोरोना मिट जाएगा कि उसका कोई सार्थक तोड़ निकालने से मिटेगा जो मात्र वेक्सिनेशन ही विकल्प है।

लाइव भारत 36 न्यूज़ से विजय धिरहे

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