दान के नाम पर जबरन कटौती ना की जाए,,
वित्त विभाग के आदेश क्रमांक 33 के प्रति घोर आपत्ति दर्ज करते हुए श्री नायक ने कहा कि संक्रमण महामारी के नाम पर प्रदेश के सभी कर्मचारियों से 1 दिन का स्वेच्छिक वेतन दिए जाने का आदेश है, किंतु सॉफ्टवेयर में उसे इस प्रकार से समायोजित किया गया है की अप्रैल माह के 1 दिन का वेतन कटौती के बिना वेतन देयक पारित नहीं किया जा सकेगा। जिस कारण यह कटौती स्वेक्षिक न होकर जबरिया हो जाएगी। अर्थात कर्मचारी चाहे या ना चाहे उसके वेतन से कटौती कर ली जाएगी। यह तकनीकी समायोजन अनुचित, आपत्तिजनक, एवं माननीय मुख्यमंत्री जी के सद्भावना के विपरीत है।
समस्त आहरण संवितरण अधिकारियों से अपील है कि वे अधीनस्थ कर्मचारियों से विकल्प पत्र भरवाने के बाद ही उक्त कटौती सुनिश्चित करें। कर्मचारियों से भी आग्रह है जहां पूर्व सूचना एवं विकल्प पत्र के कटौती की जाती है इसकी सूचना एवं विरोध तत्काल करें। पिछले लगभग 2 वर्षों से कर्मचारियों के महंगाई भत्ता एवं अन्य आवश्यक लंबित क्लेम को जाम करके रखा गया है जिस कारण उनके वेतन भत्तों में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है, दूसरी तरफ कर्मचारी अपना तन मन धन संपूर्ण रुप से इस संक्रामक बीमारी में लगाकर जनता की सेवा कर रहे हैं। साथ ही वे खुद, उनका परिवार कोविड-19 से प्रभावित है। अनेक साथी दिवंगत भी हो रहे हैं लेकिन उनके प्रति प्रदेश की सरकार संवेदनशील नहीं है। उनके मिलने वाले भत्तों को भी समय पर ना देकर उन्हें संकट में डाल रही है।
श्री नायक ने उपरोक्त परिस्थिति में प्रदेश की संवेदनशील सरकार से लंबित महंगाई भत्ता एवं कोविड-19 में लगे कर्मचारियों को 2 माह का अतिरिक्त वेतन एवं दिवंगत कर्मचारियों को 50 लाख का बीमा भुगतान एवं अनुकंपा नियुक्ति देने की मांग की है।
सत्यम नायक
प्रदेश उपाध्यक्ष
सर्व शिक्षक कल्याण संघ
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