लेख

ममता कानूनगो की कुछ भुली-बिसरी यादें

नमन मंच
भूली बिसरी यादें
यादें….
स्मृति पटल पर अंकित है कुछ बातें,
जीवन में बिसरती नही कुछ यादें।

छातों में भीगकर, बूंदों को पकड़ने की भीगी भीगी बातें
सूखे पेड़ों पर सावनी झूलों की बरसातें,
तपिश को थामकर, दोस्तों की ठंडक घोलती मस्तीभरी सौगातें,
रातों को जागकर,उनींदी आंखों में स्वपनिल जगत की सपनोंभरी बातें,
समय बीतता है पर भूलती नही कुछ यादें।

नानी के मालपुए से नरम गाल,
मीठी बोली से गूंजतेआंगन द्वार,
कल्पित कहानी के सजग चित्रण,
दादी की बातों में अनुभव का मिश्रण,
मां की मीठी रोटी में अमृत सा स्वाद,
पिता की डांट में प्यार का एहसास,
अनकहे एहसासों की ये बातें,
भूलाए नहीं भूलती स्वर्णिम यादें।

भाई बहन संग प्रेमपगी बातें,
गुड्डे-गुड़ियों की सतरंगी पौशाखे,
छोटी छोटी बातों पर बिगड़ना,
मुस्कुराकर सबको मना लेना,
उदासी, अकेलेपन की कोई जगह नहीं,
लड़ने झगड़ने की कोई वजह नहीं,
ये अतीत नही, कुछ बरस पहले की है बातें,
जब अपनों से रुबरु होते थे,
और कहते थे मन की बातें,
मोबाइल और मेसेज में कहां अपनापन,
ये सब है औपचारिक बातें,
समय के साथ बदल जाती है,
स्मृति पर अंकित ये यादें।।

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