महासमुंद

मछली पालन में लागत कम और मुनाफा ज्यादा
राजकुमार अपनी डबरी में करते मत्स्यपालन कमाते मुनाफा

महासमुंद 31 दिसम्बर 2020/छत्तीसगढ़ राज्य में किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा पशुपालन के साथ-साथ मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा हैं। महासमुंद जिले में मछली पालन किसानों के लिए आर्थिक लाभ का सबब साबित हो रहा है। नतीजा यह है कि मछली पालन के प्रति किसानों का मोह भी तेजी से बढ़ा है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि वर्ष में दो बार एक तालाब से मछलियां बिक्री के लिए प्राप्त की जा सकती हैं। ग्रामीणों की बढ़ती रुचि इसलिए भी है, क्योंकि जहां एक हेक्टेयर खेत मैं धान व गेहूं की फसल से किसानों को अधिकतम सवा लाख रुपये तक का लाभ मिलता है, वहीं इतनी ही भूमि में मछली पालन करने से लगभग ढाई लाख रुपये की आय की जा सकती है। यहां मुख्यतः धान की खेती की जाती है। हालांकि इन फसलों की खेती व फिर उपज की बिक्री करने में किसानों को जिस प्रकार लगातार विभिन्न कठिनाइयों का सामना वर्ष दर वर्ष करना पड़ता है, उससे ग्रामीणों का ध्यान अन्य विकल्पों की तरफ तेजी से जा रहा है। साथ ही मछली पालन भी इसमें सर्व प्रमुख है। जिले में मछली पालन की तरफ बीते दो वर्षों में ग्रामीणों का रुझान तेजी से बढ़ा है।
जिले में मछली पालन करना काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है। मछली पालन के माध्यम से स्थानीय स्तर पर रोजगार उत्पन्न कर स्थानीय लोगों की पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने में महासमुंद जिला अपनी पहचान बना रहा है। इस कारोबार को शुरू करने के लिए खेती-किसानी करने वालें किसान भी करने लगे हैं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण बसना ब्लाॅक के ग्राम पंचायत चिर्राचुवा के किसान श्री राजकुमार ने खेती किसानी के साथ-साथ अपनी 25 डिस्मिल जमीन पर मनरेगा योजनान्तर्गत डबरी निर्माण कराकर मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया है। जिससे वे बाजार में मछली बेचकर मुनाफा कमा रहे है। वे अपनी डबरी के पानी से लगभग ढाई एकड़ की खेती को भी सिंचित कर लेते हैं। उन्होंने इस साल अपने डबरी में मछली बीज डाला है। उनके डबरी की मछली का वजन कुछ ही महीनों में तकरीबरन 4-5 किलोग्राम हो गया हैं। जिसकी बाजार में कीमत लगभग एक लाख रुपए से अधिक हैं। उन्होंने बताया कि लगभग एक से डेढ़ माह बाद इन मछलियों का वजन एक से डेढ़ किलोग्राम और बढ़ जाएगा। जिसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलेगी।
मछली पालनकर्ता श्री राजकुमार ने अपनी मछलियों की सुरक्षा और निगरानी के लिए आधुनिक यंत्रों का सहारा लिया हैं। उन्होंने मछली तालाब निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरें लगाए हैं और मोबाईल एप के जरिए घर बैठें निगरानी कर रहे हैं। उनके इस कार्य में मनरेगा के बेयरफुट तकनीशियन (बीएफटी) श्री शिवकुमार ने मदद की हैं। किसान श्री राजकुमार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास भी मिला हुआ है। श्री राजकुमार राज्य और केन्द्र सरकार की हितकारी योजनाओं का बेहतर उपयोग कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ-साथ अपने परिवार और बच्चों का बेहतर भविष्य बनानें में भी लगे हैं।

लोचन चौधरी की रिपोर्ट

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