परलकोट की दो बहनो ने कविता और पोयम लेख के माध्यम से बनाई अपनी पहचान
कांकेर खबर
कांकेर जिले के पखांजूर क्षेत्र को लगभग नक्सली समस्या के नाम से जाना जाता है! आये दिन यहाँ नक्सली अपनी मौजूदगी घटना को अंजाम देकर दर्ज कराते रहते है लेकिन आज हम आपको ऐसे दो बहनों से परिचित करा रहे हैं जो परिवार की अनेकों समस्याओं को झेलते हुए अपनी पढ़ाई कर आज कविताएं और पोयम लिखकर पखांजूर के कापसी मे पहचान बना चुकी है!
जी हा हम वे दोनों बहनो का आप से परिचित करवा रहे है जो पढ़ाई के साथ साथ कविताएं लिखने का कार्य कर रही है ये दोनों बहने कापसी के विश्रामपुर 119 नंबर गांव की रहने वाली है!
जिनका नाम बनीता रॉय और छोटी बहन अर्पिता रॉय है! जिनके माँ का नाम रीता रॉय और पिता नारायण रॉय,बनीता घर की बड़ी लड़की जिसके बाद दो बहने और एक छोटा भाई के साथ परिवार मे कुल 6लोग है!
बनीता की माँ पास ही के आगनबाड़ी मे खाना पकाने का कार्य करती है और पिता खेती-किसानी कर घर चला रहे, बनीता के परिवार ने गरीबी की वजह से काफ़ी पीड़ा झेला है और आज उस आर्थिक तंगी मे उन माँ पिता का सहारा बनी बेटियां वाकई ये बेटियां ही जो बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे स्लोगन की उदहारण बनकर सामने आई है और समाज को संदेश दे रही है!
लॉकडॉन मे परिवार पर पड़ा था रोजी-रोटी का संकट!
जी हा कोरोना महामारी के वजह से सरकार को लॉकडाउन जैसे निर्णय लेने मजबूर किया जिससे हमारे देश मे निम्न और गरीब तबके के लोगो को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया जहाँ रोज कमाने-खाने वाले लोगो पर रोजी-रोटी का संकट गहराने लगा जिसका सीधा असर हमारे आसपास के रोज कमाने खाने वाले परिवार को देखा जा चूका है वही संकट बनीता ने भी अपने परिवार के साथ होने की बात बताई!
बनीता और बहन अर्पिता परिवार के आर्थिक तंगी के वजह से सिर्फ बी.ए.प्रथमवर्ष तक ही पढ़ाई कर पाई है जिसके बाद परिवार बड़ा होने के कारण बीच मे ही पढ़ाई छोड़ना पड़ा, बनीता और अर्पिता ने पढ़ाई के साथ साथ काम मजदूरी कर परिवार चलाने मे अपने माता पिता को बहुत सहयोग किया है!
बनीता बताती है की परिवार की आर्थिक तंगी के चलते उन्हें कांकेर लाइवलीवुड कॉलेज कांकेर से प्रशिक्षण प्राप्त कर राजस्थान के कार फ्यूज़िंग इंजन को कूलिंग करने वाले कम्पनी मे काम करने चली गयी वहा से प्राप्त इनकम से वापिस घर आकर घर पर ही किराने का व्यवसाय शुरू किया जो अब ठीक ठाक चल रहा है! यही वजह है की बनीता सच्ची लगन कर मेहनत और कार्य के प्रति रूचि से अब आर्थिक स्थिति मे कुछ सुधार आया है!
बनीता और अर्पिता की कविता के प्रति रूचि को देख उनके स्कूल के टीचर्स का भी सपोर्ट और कविता लेखन मे मार्गदर्शन काफ़ी रहा है कविता लिखने मे पूर्णिमा परिहार,रणजीत कौर, माला कौर, सपन ने काफ़ी मार्गदर्शन दिए जिसके बाद उन्हें कविता लिखने मे आसानी होती थी!
बनीता और अर्पिता ने मिलकर अब तक कई कविताएं लिख चुकी है जिनमे – छत्तीसगढ़ राज्य,वन्यजीव बचाव,कुपोषण एक गंभीर समस्या, पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ, वन्य प्राणी पशु- पक्षी बचाओ जैसे अनेको कविताएं लिखकर कविता लेखन मे अपनी अलग पहचान बनकर सामने आई दोनों बहने!
लाइव भारत 36 न्यूज़ कांकेर से विनोद साहु