गांव में धड़ल्ले से चल रहा महुआ शराब का कारोबा

मालखरौदा (सपिया): कच्ची शराब बनाने वाले अवैध कारोबारी लोगों के जिंदगी के साथ सीधे सीधे मजाक कर रहे हैं। पहले शराब निर्माण में महुआ के साथ शीरे के रूप में गुड़ का प्रयोग करते थे। .. लेकिन अब अधिक लाभ कमाने के चक्कर में गुड़ के स्थान पर यूरिया व नौशादर का प्रयोग करने लगे हैं। इन अवैध व्यवसायियों के पास कोई निर्धारित मानक तो होता नहीं है यही वजह है कि शराब में यूरिया की मात्रा अधिक पड़ जाती है, जो जहर में तब्दील हो जाती है।
दरअसल गांवों में बहुत पहले से अवैध तरीके से कच्ची शराब बनाकर बेची जा रही है। क्षेत्र के ग्राम पंचायत सपिया, भांटा, सहित आसपास के अन्य गांवों में धड़ल्ले से कच्ची शराब का निर्माण व बिक्री की रही है। सरकारी देशी शराब 80 रुपए दाम पर मिलने के कारण लोगों के बीच इस शराब की बहुत मांग रहती है। पुलिस व आबकारी विभाग द्वारा समय समय पर छापेमारी व गिरफ्तारी भी की जाती है, पर यह कारोबार इन इलाकों में इस कदर कुटीर उद्योग बन चुका है कि लाख प्रयास के बावजूद यह रूकने का नाम नहीं ले रहा और तो और विभागीय सांठ-गांठ के आधार पर ये लोग छापेमारी व गिरफ्तारी को मजाक समझते हैं। छापेमारी के दौरान अवैध कारोबारी घर की महिलाओं को आगे कर खुद गायब हो जाते हैं। महिलाओं का हाल यह है कि या तो मौके से ही या फिर थाने से इन्हें जमानत मिल जाती है। इस अनोखे सांठ-गांठ के आधार पर इन क्षेत्रों में यह धंधा बदस्तूर जारी है।

लाइव भारत 36 न्यूज़ से विजय धिरहे की रिपोर्ट

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