महासमुंद

36 वाँ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा:नर्सिंग कॉलेज के 16 विद्यार्थियों ने किया नेत्रदान करने की घोषणा

         महासमुंद 07 सितम्बर 2021/ राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्पदृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के तहत् 25 अगस्त से 08 सितंबर 2021 तक महासमुन्द जिले के समस्त शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रों में 36 वाँ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एन.के.मंडपे ने बताया कि इसके तहत् नर्सिंग कॉलेज के 16 विद्यार्थियों ने नेत्रदान करने की घोषणा की है। सूर्या नर्सिंग कॉलेज और फैलोशिप स्कूल ऑफ नर्सिंग में 07 सितंबर को नेत्रदान पखवाडे के अन्तर्गत नेत्रदान परिचर्चा एवं सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संबद्ध चिकित्सालय के नेत्र सहायक अधिकारी श्री उमेश गोतमारे एवं श्री अवधेश यादव द्वारा नेत्रदान के विषय में बताया कि प्रदेश में करीब 15 से 20 हजार व्यक्ति कॉर्नियल ब्लाइंडनेस (आंख की पुतली में सफेदी) के कारण अंधे हो जाते है। उन्हंे केवल नेत्र प्रत्यारोपण द्वारा रोशनी दी जा सकती है। जिन्हें आप मृत्यु के बाद आंखे दान कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि कॉर्नियल अंधापन आंखों में चोट लगने, आंखों में संक्रमण होने, बच्चों में कुपोषण, रसायन से, बच्चों में विटामिन ए की कमी से होती है। कॉर्नियल दृष्टिहीनता को रोकने हेतु आंखों को चोट लगने से बचायें। बच्चों को नोकदार खिलौनें व वस्तुएं न दे तथा पटाके, फुलझड़ी, अनारदाना, आदि पटाकों से बचायें। आंखों में संक्रमण होने पर तत्काल चिकित्सक को दिखाएं। छोटे बच्चों में टीकाकरण समय पर कराये एवं विटामिन ए का खुराक समय पर अवश्य दें। बच्चों को कुपोषण न होने दें। वाहन चलाते समय चश्मा का प्रयोग करें।
सामान्यतः नेत्रदान मृत्यु के बाद ही किया जाता है। नेत्रदान के लिए आयु, लिंग, जाति का कोई बंधन नहीं है। चश्मे पहनने वाले एवं मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने वाले भी नेत्रदान कर सकते है। नेत्रदान मृत्यु के 6 घण्टे के भीतर करना होता है। मृत्यु उपरान्त मृतक के वारिस, मित्र, रिश्तेदार नेत्रदान के लिए अपने निकट के नेत्र बैंक, जिला चिकित्सालय को शीघ्र सूचित करें। यदि आपने संकल्प पत्र नहीं भरा है फिर भी नेत्रदान कर सकते है। नेत्र चिकित्सक आपके घर पर ही नेत्र प्राप्त करने का कार्य 15 से 20 मिनट में पूरा कर सकता है, यह सेवा निःशुल्क है। प्रत्यारोपण हेतु आंख की कॉर्निया (पुतली) ही केवल उपयोग में आती है, पूरी आंख नहीं निकाली जाती। एक मृत व्यक्ति की 02 आंख 02 अंधे व्यक्ति को रोशनी दे सकती है। मृतक की आंख निकालने से कोई विकृति नहीं आती है, और अगले जन्म में किसी प्रकार की विकृति नहीं आती है। समाज में व्याप्त अंधविश्वास एवं भं्रातियों को दूर रहें। इस कार्यक्रम में कॉलेज के संचालक, प्राध्यापक एवं कॉलेज के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

लोचन चौधरी की रिपोर्ट

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