जशपुर जिला

जशपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा कर वर्षों से शासकीय नौकरी कर रहा है….. जब जांच में खुली पोल तो सजा के बदले मिल गया प्रमोशन। अनुसूचित जनजाति खेरवार का बताकर फर्जी तरिके से प्राप्त कर लिया जाती प्रमाण पत्र।

जशपुरनगर। जशपुर जिले में एक व्यक्ति के द्वारा फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा कर सालों से नौकरी करते हुए लाखों के वारे नारे किए जा रहे हैं। सवाल ये उठता है कि इस मामले में जांच पश्चात निर्णय आने के बावजूद एंव दोषी पाए जाने के15 साल बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। मामला 2005 से जुड़ा है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर डंके की चोट पर आरोपित अंजनी कुमार खरे आज भी हायर सेकेंडरी स्कूल बगीचा ब्लॉक के सिमड़ा में सहायक ग्रेड दो के पद पर पदस्थ है और मौज मारते हुए कानून को ठेंगा दिखा रहा है।
क्या है मामला….
मिली जानकारी के मुताबिक अंजनी कुमार खरे सहायक ग्रेड 3 के पद पर 15 साल से अधिक समय से फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर काम कर रहा है।
सहायक आयुक्त जशपुर के द्वारा दिनांक 13-1-2006 अंजनी कुमार खरे सहायक ग्रेड 3 के विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में दिए गए प्रतिवेदन पर आज पर्यंत तक कोई कार्यवाही नहीं किए जाने की शिकायत एवं आवश्यक कार्यवाही किए जाने बाबत जांच की मांग की गई थी। उपरोक्त संबंध में ज्ञात हो कि दिनांक 13/1 2006 को सहायक आयुक्त जिला जशपुर के द्वारा तत्कालीन कलेक्टर जिला जशपुर को अंजनी कुमार खरे सहायक ग्रेड 3 के फर्जी जाति प्रमाण पत्र के संबंध में जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया था और उक्त प्रतिवेदन में अंजनी कुमार खरे को निलंबित कर उसके विरुद्ध विभागीय जांच स्थापित करें तथा सेवा से पृथक करने की अनुशंसा की गई थी। उक्त संबंध में विभाग के द्वारा थाने में भी रिपोर्ट किया गया था किंतु कितने वर्ष बीतने के बाद भी आज दिनांक तक उक्त व्यक्ति के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है तथा वर्तमान में उक्त व्यक्ति सहायक ग्रेड 2 के पद पर हायर सेकेंडरी स्कूल बिमड़ा तहसील बगीचा में पदस्थ है। आशंका है कि उक्त व्यक्ति से मिलकर स्थानी अधिकारी एवं पुलिस के द्वारा उसके विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा रही है जिसे लेकर जिले में निवासरत अनुसूचित जनजाति लोगों के मन में आक्रोश है। कारणवश अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच ने कलेक्टर से आग्रह किया है कि उक्त संबंध दोषी व्यक्ति के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही करते हुए उसे सेवा से पृथक करने की कार्यवाही तत्काल की जावे।
सवाल:-
इस मामले में सवाल यह उठता है कि आखिर 2006 में ही कलेक्टर जशपुर को इस फर्जीवाड़े की जांच रिपोर्ट आदिवासी विभाग के द्वारा सौंप दी गई थी उसके बावजूद उक्त व्यक्ति के विरुद्ध कोई कार्यवाही क्यों नही की ?और यदि कलेक्टर कार्यालय से थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई तो आखिर 14 वर्षो से आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर कैसे रहा ? जबकि वह नियमित रूप से सरकारी कार्यालय में डियूटी कर रहा है और तनख्वाह भी ले रहा है ।
अखिल भारतीय जनजातिय सुरक्षा मंच ने इससे सम्बंधित दस्तावेजो को जब उपलब्ध कराया तो होश उड़ गए ।आखिर कोई इतना शातिर कैसे हो सकता है ?कानून के हाँथ लंबे होते है ऐसा तो कहा जाता है लेकिन वो हाँथ यदि 14 वर्षो में एक आरोपी को नही पकड़ सकते है तो कैसे माना जा सकता है कि कानून के हाँथ लंबे होते है।
सवाल तो यह भी उठ रहे हैं कि जिस अनुविभागीय अधिकारी के कार्यालय में वह पदस्थ रहा है उसी दौरान उसके नाम से उसी कार्यालय से स्थाई जाति प्रमाण पत्र जारी किया गया है । उक्त जाति प्रमाण पत्र के नम्बर पर सर्च करने से किसी और व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र के दस्तावेज मिलते है जिसे लेकर भी संदेह व्यक्त किया जा रहा


बहरहाल इस मामले को लेकर जिले के जनजातिय समाज मे काफी आक्रोश है और मंच के द्वारा कलेक्टर को इस सम्बंध में तत्काल कार्यवाही करने हेतु ज्ञापन भी सौंपा गया है ।इस सम्बंध में जब वर्तमान कलेक्टर श्री महादेव कांवरे को अवगत कराया गया तब उन्होंने स्वयं आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि आखिर कहां दबी है फाइल मैने शिकायत शाखा के प्रभारी डिप्टी कलेक्टर आर एन पाण्डेय को निर्देश दिया है कि वो मामले की फाइल मेरे सामने लाएं फाइल देखने के बाद तत्काल अग्रिम कार्यवाही की जाएगी ।

लाइव भारत 36 न्यूज़ से जिला ब्यूरो चीफ गणेश राम बंजारा

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