लेख

जातिवाद


इस संसार में जितने भी व्यक्ति जन्म लिए है, अपितु इस संसार में रह रहे हैं।
सबको दुख दर्द खुशी का अहसास होता है ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं ,जो इन सभी कार्यों से अपरिचित हो मनुष्य का जीवन वैसा ही चलता है जैसे बाकी मनुष्यो का ,इस संसार में ईश्वरीय रचना ऐसी है कि जो मनुष्य जन्म लेगा उसकी मृत्यु भी निश्चित है ।सभी मनुष्यों में आत्मा निवास करती है ,तो सबसे दुर्भाग्य कि बात यह है कि इन मनुष्यो में जातिवाद ,समाजवाद से अपना अलग अलग धर्म कहा से आया?
आज मनुष्य, मनुष्य की भावनाओ उनकी पीड़ा को समझ क्यू नहीं पा रहे है? आज समाज में जातिवाद का परचम इतना लहरहा है की आज मनुष्य इस जातिवाद के जोश में किसी दूसरे मनुष्य की निर्मम हत्या करने से भी पीछे नहीं हट रहा यह एक विचलित कर देने वाली घटना है । जो कि हमारे देश की शिक्षा पूर्व की अपेक्षा में काफी सुधार हुआ है ,लेकिन दुख की बात तो यह है कि इन शिक्षित और अनुभवि लोगो के मन में ये जातिवाद कैसे अपनी पकड़ बनाने में सफल हुआ।इस जातिवाद के छोटे से शब्द ने देश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या जातिवाद किसी मनुष्य के जीवन से बड़कर है।ये जातिवाद का परचम किसने लहराया की यह परचम आज वर्तमान समय में देश को गर्त की ओर अग्रसर कर रहा है विकास की स्थिति में बाधक सिद्ध हो रहा है ।तथा एक मनुष्य की सहायता करना एक शब्द मात्र बन कर रह गया है ,आज पूरा देश कॉरोना वायरस आर्थात कोविड-19 से त्रस्त है लेकिन आज के इस दुखद समय में मनोबल बढ़ाने एकदुसरे का साथ देने के बजाय देश में जाति के नाम पर अशांति दंगे फैलाई जा रही है ।इस भयंकर महामारी के कारण से ना जाने कितने लोगो ने अपनी जान गवाई आपितू कितने लोग जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहे है । ऐसी विषम पिस्थिति में लोग अपने जाति धर्म को महान बताने में लगे हुए है ,सोचने वाली बात तो यह है कि क्या अब लोगो का हृदय किसी के लिए नहीं पसीजता क्या वो इंसान नहीं?
इस जातिवाद ने मानवता को कहा नष्ट कर दिया है जिसके फलस्वरूप ऐसी घटनाओ को अंजाम दिया जा रहा है। जो आशोभनिय तथा दुर्भाग्यपूर्ण है कोविड-19 जैसे वैश्विक महामारी के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही लेकिन इन सारे नियम कानून का अवेहलना मनुष्यो के द्वारा जाति धर्म के नाम पर किया जा रहा । नियम कानून बनाए जा रहे इस भयंकर महामारी से लड़ने के लिए लेकिन दुख की बात यह है कि कुछ धर्म लोभियों के द्वारा अपने ही नहीं अपितु पूरे समाज देश को संकट के चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है ।
ये सवाल बार बार जहन में चलता है कि ऐसी मानसिकता का कारण क्या है ? जिसमे लोग मनुष्य होकर मनुष्य से इतना बड़ा बैर की भावना रख रहे ,आए दिन खबर आता रहता है कि धर्म के नाम पर दंगे ,जो हृदय को बहुत आहत पहुंचाते है तथा देश समाज की स्थिति देखकर मन में फिर से वही सवाल उठता है,की ऐसा क्या हुआ होगा जिसके कारण जातिवाद ने अपना इतना भयावह रूप ले लिया ।

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