रायपुर

छत्तीसगढ़ -कोरोना काल किसी बुरे सपने से कम नही लगातार होती अपनो की मौतें दिल दहला रही ।लगातार संक्रमण के बढ़ते दर से सरकार असहाय सी हो गई है । एक एक बेड ऑक्सीजन वेंटिलेटर के अभाव में मरीजों का दम तोड़ना दिल दहला रहा था ।जहाँ अपने अपनो के मदद को सामने नही आ रहे

छत्तीसगढ़ -कोरोना काल किसी बुरे सपने से कम नही लगातार होती अपनो की मौतें दिल दहला रही ।लगातार संक्रमण के बढ़ते दर से सरकार असहाय सी हो गई है ।
एक एक बेड ऑक्सीजन वेंटिलेटर के अभाव में मरीजों का दम तोड़ना दिल दहला रहा था ।जहाँ अपने अपनो के मदद को सामने नही आ रहे

उस दौर में एक फरिश्ता आता है
और सबके दुख दर्द को ले लेता ।
हम बात कर रहे छत्तीसगढ़ बिलासपुर के रहने वाले राजीव चौबे की जो खुद पॉजीटिव होते हुए पूरे देश को मानव श्रृंखला से ऐसे जोड़ दिया कि मुम्बई दिल्ली बैंगलोर भोपाल इंदौर रायपुर केरल राजस्थान में मानवता के ऐसे योद्धा तैयार किये जो चौबीस घण्टे उपलब्ध रहते है जिनका फ़ोन एक रिंग में उठता है और आपकी प्रॉब्लम को आधे घण्टे के अंदर इनकी टीम सुलझा देती है ।
इनके काम करने का अंदाज किसी सरकार से भी ज्यादा बेहतर और अत्याधुनिक है ।इनकी हर राज्य की एक अलग टीम होती है जो हर जिले के हॉस्पिटल पर नजर रखती है कहा कितने बेड खाली हुए कहा ऑक्सीजन की जरूरत है वेंटिलेटर किसको देना है ये टीम जिले की टीम को बताती है
फिर ज्यादा सिरियस वाले मरीज को पहले एडमिट किया जाता है
फिर जरूरत के हिसाब से मरीजों को अलग अलग हॉस्पिटल शिफ्ट कराया जाता है ।साथ ही भोजन दवाई सारे प्रबंध किए जाते है ।
एक छोटे से शहर से बड़ी सोच के साथ चालू हुआ मानवता कब छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश से उत्तरप्रदेश से दिल्ली महाराष्ट्र राजस्थान कर्नाटक बिहार होता हुआ पूरे देश मे फैल गया पता ही नही चला । राजनीतिक पार्टियों की तरह इसमें जुड़ने के लिए कोई प्रचार नही करना पड़ा ।
मानवता से प्रभावित होकर आम इंसान से लेकर ब्यरोकेट्स मजिस्ट्रेट नेता अभिनेता व्यपारी जॉब मीडिया वाले बूढ़े जवान युवा सब जुड़ते चले गए ।देखते देखते पूरे देश मे मानवता की गूंज सुनाई देने लगी
मानवता की शुरुवात का उद्देश्य इस देश की केंद्र राज्य सरकार इस महामारी में अपने घुटने टेक दिए है तो क्यो न मानव श्रृंखला बनाई जाए जो मानवता के लिए कार्य करे ।जिसका उद्देश्य सिर्फ और मानव कल्याण हो ।
छत्तीसगढ़ के छोटे शहर बिलासपुर से कुछ लोगो को जोड़कर इसकी शुरुवात की मानवता के मेम्बर की निष्ठा लगन ततपरता ने इतिहास रच दिया । दस लोगो से शुरू हुआ ये संगठन दस दिन में लाखों सदशयो के साथ करोड़ो लोगो तक पहुच गया ।
मानवता काम कैसे करता है- मानवता के सदश्य वो गुमनाम चेहरे है जो आपके आसपास वाले होते जो इस महामारी के दौर में रोते बिलखते तड़पते लोगो के लिए कुछ करना चाहते थे मानवता ने उन सब भारतीयों को वो प्लेटफार्म दे दिया जिससे वो अपनो के लिए कुछ कर पाए
हर जिले के मेम्बर की अलग अलग जिम्मेदारी होती है
कुछ हॉस्पिटल में बेड वेंटिलेटर की जानकारी लगातार लेते रहते तो कुछ जरूरतमंद को उनकी।प्राथमिकता के आधार पर बेड दिलाते है ।कुछ ऑक्सीजन देने संस्था से जरूरतमंद तक ऑक्सीजन पहुचाते है । अगर मध्यप्रदेश के पास दिल्ली का केस आया तो वो दिल्ली वाले मेम्बर को जानकारी देकर उनकी मदद करता है ।
मानवता का कोई लेखा जोखा नही होता दिन में एवरेज चार हजार काल आ जाते है । चालीस हजार से ऊपर लोगो को मदद पहुचाइए जा चुकी है ।
मानवता सोती नही जागती रहती है । मानवता के संस्थापक राजीव चौबे ने बताया चौबीस घटे देश के हर कोने से काल आते है जिसे हम उस राज्य मानवता के योद्धा को फॉरवर्ड करते सबकी अपनी जिम्मेदारी होती है । सब राज्य के केस को प्रिंस वर्मा बिनोय राय देखते है । साथ ही अभिषेक मनोज सोनी बेड की स्थिति को लगातार देखते रहते है ।सोमू श्रीवास्तव ऋषभ नायडू लगातार मरीजों के परिजन के संपर्क में रहते है।
मानवता के प्रति जो आस्था विश्वास निष्ठा लोगो के मन मे वही मानवता की कमाई है । मानवता में मुख्य रूप से प्रिंस वर्मा अभिषेक ठाकुर, बिनोय राय,ऋषभ नायडू,सोमू श्रीवास्तव, कैलाश कश्यप, डॉ मनीष यादव मनोज सोनी, शंकर अधिजा ,मोहम्मद नाफ़िज़ ,देवेश तिवारी ,समीर शुक्ला, राजा पांडेय, बाबा पांडेय, अनुष्का मजूमदार ,सुजाता सिसोदिया ,सुमन सिसोदिया, जितेंद चौबे, सुनीता पाठक,अवनीत कौर,राकेश पंडित डॉ विभाषा ,स्वर्णा गौरहा,भाव्या शुक्ला, मुकेश जायसवाल जैसे लाखो लोग दिन रात मानवता के लिए सेवा दे रहे है ।

Admin be reported

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