महासमुंद

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान:कर्तव्य पथ पर डटी आँगनबाड़ी कार्यकर्तायें

बच्चों में कुपोषण दूर करने सप्ताह में तीन दिन गरम पौष्टिक भोजन

महासमुंद 15 सितंबर 2021/ कोरोना काल की पहली और दूसरी लहर के बीच कर्तव्य पथ पर डटे रहकर काम करना सीखना हो तो महासमुंद जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से सीखा जा सकता है। विपरीत स्थिति और विषम परिस्थितियों में डटे रहकर पूरी निष्ठा, ईमानदारी और ज़िम्मेदारी से काम करना जैसे इनकी फ़ितरत में है। ये वो आँगनबड़ी कार्यकर्ताएं है, जो ज़िले के दूरस्थ अंचल में रहने वाले गरीब, कमजोर वर्ग के लोगों के साथ आदिवासी जनजाति लोगों के घर पर सूखा राशन और रेडी-टू-ईट का वितरण कर रही थी। ताकि उनके मासूम बच्चों और परिवार को भूखा नहीं रहना पड़े। लॉकडाउन के चलते पहले चरण और दूसरे में मुख्यमंत्री सुपोषण कार्यक्रम के तहत 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिया पीड़ित, शिशुवती माताओं और 06 माह से 3 वर्ष के आयु वर्ग के कुपोषित बच्चों के घर पर पोषणयुक्त सूखा राशन उपलब्ध कराया था। लॉकडाउन के दूसरे चरण में भी और राशन पहुंचाने की व्यवस्था की। इसके साथ ही जिले की 1780 आंगनबाड़ी केन्द्रों में दर्ज बच्चों गर्भवती और शिशुवती समेत कुल हितग्राहियों को हेल्दी रेडी-टू-ईट फूड घर-घर जाकर दिया था।


मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान अंतर्गत पिछले माह 10 अगस्त से पुनः सप्ताह में तीन दिन सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को गुणवत्तापूर्ण गरम पौष्टिक भोजन हितग्राहियों को पुनः उपलब्ध कराया जा रहा है। लॉकडाउन और कोरोना के चलते बच्चों के बेहतर सेहत के चलते बंद किया गया था। पुनः 10 अगस्त से जिले की 1710 ऑगनबाड़ी केन्द्रों में 6645 कुपोषित बच्चों और 15 से 49 आयु के 9489 एनीमिक पीड़ित बालिकाएं एवं महिलाओं को ऑगनबाड़ी कार्यकर्ताएं और सहायिकाएं अब गरम भोजन परोस रही है। ताकि बच्चें सुपोषित हो और बालिका और महिलाएं एनीमिक की कमी से बाहर निकले। इस योजना के तहत जिले के ऑगनबाड़ी केन्द्रों में 16134 हितग्राहियों को सप्ताह में तीन दिन गरम पौष्टिक भोजन मिल रहा है। इसी प्रकार खनिज न्यास निधि से कमार जनजाति के 3 से 6 आयु वर्ग के 96 बालकों और 1 से 49 आयु वर्ग की 1428 बालिका और महिलाओं को सप्ताह में तीन दिन मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को उनके घर जाकर उबला अण्डा प्रदाय किया जा रहा है। जिले में 6 माह से 3 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों की संख्या अलग-अलग श्रेणियों 23613 है। वही 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिक पीड़ित बालिका एवं महिलाओं की संख्या 39521 है।
  मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशानुरूप राज्य शासन के महिला बाल विकास की ओर से पोषण युक्त सूखा राशन बांट रही थी, ताकि कोरोना के चलते कोई भूखा नहीं रहे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जहाँ एक ओर क़ोरोना से लड़ रही तो, वही दूसरी घर-घर राशन बाँटने का काम कर रही है। ताकि उनके यहाँ भोजन बन सके। इसके साथ ही लोगों को कोरोना महामारी से बचने के उपाय के बारे में बता रही है। इसके साथ ही लोगों को घर में रहने की समझाईश भी दे रही थी। वे टीकाकरण के लिए लोगों को प्रेरित और जागरुक का काम भी बखूबी निभाया। उनके इस सहयोग से ज़िले में दो विकासखंडों सरायपाली और बसना में शतप्रतिशत वेक्सिनेट हुआ। वही ज़िले के सभी छहों नगरीय क्षेत्र में भी सौ फ़ीसदी लोगों का  टीकाकरण करने में कामयाबी हासिल की।
कोरोना काल के उस दौर में छत्तीसगढ़ के हर गरीब जरूरतमंद माँ-बच्चे के चेहरे पर मुस्कराहट लाने के पीछे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की बेहतर रणनीति का परिणाम था। उनका कहना था कि प्रदेश में कोई भूखा न रहे। भूखा उठे तो वह रात को भूखा सोये नहीं। मुख्यमंत्री श्री बघेल सभी आवश्यकताओं पर स्वयं पैनी नजर बनाये हुए थे। वह कोराना के चलते लोगों से विभिन्न माध्यमों के जरिए बातचीत भी कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने उस  दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं चिठठी लिख कर होैसला अफजाई भी की और उनके काम की सराहना भी की थी। वे प्रदेश की जनता को कोरोना लड़ने के लिए हिम्मत दे रहे थे। वही नियमों और सोशल डिस्टेसिंग की बात हर प्लेटफार्म पर लगातार कर रहे है।

लोचन चौधरी की रिपोर्ट…

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