कांकेर जिले के ग्राम कोकपुर में पुत्र की रक्षा के लिए माताओं ने रखी हलषष्ठी का व्रत!
जिले सहित ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओं ने शनिवार को पुत्र की रक्षा के लिए श्रद्धा भक्ति के साथ हलषष्ठी पर्व मनाया जगह-जगह सबरी खोदे गए व विधि विधान से पूजा अर्चना किये!हिंदू रीति रिवाज के अनुसार हलषष्ठी पर्व का अपना एक अलग महत्व है जिसे महिलाएं वर्षों से मनाते हुए आ रहे हैं हलषष्ठी का व्रत करने वाले प्रमुख वर्गों में से एक है क्षेत्र की माताएं व नवविवाहिता के द्वारा इस शुभ दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को हलषष्टि व्रत रखा गया इस बार यह व्रत 28 अगस्त दिन शनिवार को था धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था!
इस दिन विधि विधान से पूजा करने से पुत्र पर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था बलराम जी का प्रधान शस्त्र हल है!इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है!धार्मिक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के अवतार में जन्म लिया था! धार्मिक मान्यता के अनुसार यह पूजन सभी पुत्रवती महिलाएं करती है!
यह व्रत पुत्रों की दीर्घायु और उनकी संपन्नता के लिए किया जाता है इस व्रत में महिलाये प्रति पुत्र के हिसाब से 6 छोटे मिट्टी के बर्तनों में 5 या 7 भुने हुए अनाज या मेवा भरती हैं इस दिन को हल षष्टि हरछठ या ललही छठ के रूप में भी मनाया जाता है कांकेर जिले के ग्राम कोकपुर में विधिपूर्वक पूजन किया गया! जिसमें क्षेत्र की माताएं श्रद्धा पूर्वक माता हलषष्ठी देवी की पूजन कर अपने संतान के दीर्घायु होने की मंगल कामना किये!साथ ही दिन भर के निर्जला व्रत रखने के बाद शाम के समय में चावल और मूंग की दाल का सेवन किए अपने संत की लंबी उम्र की प्रार्थना किए नवविवाहिता महिलाओं द्वारा पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना किए हलषष्ठी त्यौहार में पूजा सामग्रियों में भैंस का दूध दही घी पत्थर चावल कांची एवं इत्यादि सामानों की पूछ परख होती हैं जिसमे सेवती साहू, प्रेमलता जैन, गीता जैन, कुंती, लुकेश्वरी, दामिनी, त्रिशला, नीतू आदि महिलाये उपस्थित थी!
विनोद साहू लाइव भारत 36 न्यूज़ कांकेर