जांजगीर-चांपा

जब तीसरी लहर की संभावना है तो, स्कूल खोलने की कवायद क्यूँ- लालू गबेल

मालखरौदा जांजगीर चाम्पा-
कोरोना की तीसरी लहर संकेत के वावजूद स्कूल खोलने के निर्णय पर बड़ा सवाल करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने कहा कि कोरोना काल मे स्कूल जब इतने दिन से बंद है तो, एक दो महीना और नही सही।
गबेल ने कहा कि अगस्त सितम्बर में तीसरी लहर की संकेत है फिर भी बच्चों की जान जोखिम में क्यूँ डाल रहे। कोरोना काल के आने वाले इन दोनों खतरा भरे महीना को जाने देते फिर खोलते स्कूल। पालको को तो कोई हड़बड़ी नही है, लेकिन ऐसे आनन फानन में शासन प्रशासन “कोरोना और कोरोना के जोखिम में स्कूल” खोल कर दोनों तरफ से लोगो को दिमाकी दबाव क्यूँ देना चाह रही।
तीसरी लहर की संकेत में एक तरफ शासन प्रशासन तमाम नगरों शहरों और गांव-गांव में कोरोना की तीसरी लहर से बचने दुनियाभर का फ्लैग मार्च और जागरूकता अभियान चला रही और दूसरी तरफ आफत को न्यौता दे रही। जबकि सभी जान रहे कि तीसरी लहर की असर बच्चों पर है, हड़बड़ी में निर्णय कही बच्चों के लिए जहर ना बन जाएं।
इस कोरोना काल मे स्कूली बच्चों का पढ़ाई तो दो साल खराब हो ही चुका है तो सितम्बर के बाद ही या वैक्सीनेशन के बाद ही खुलते स्कूल।
गबेल ने कहा कि मैं दावा के साथ बोल सकता हूँ कि स्कूलों में कोरोना गाइडलाईन का पालन कराना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि यहाँ पालक से लेकर बड़े पढ़ेलिखे लोग कोरोना नियम का पालन नही कर पा रहे तो बच्चे तो बच्चे है। आप सब देख भी रहे है कि प्रशासन और पुलिस रोज रोज मास्क नही पहनने वालो से और कोरोना नियम तोड़ने वालो से लाखो जुर्बना वसूल कर शासन के खजाने में जमा करा रही है और सभी जुर्बना देने वालो में बड़े पढ़ेलिखे ही लोग है।
आने वाले कुछ ही दिनों में कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए जब इतना खतरा बनी है तो अभी स्कूल खोलना जैसे “असुर के मुह में नूर” को फेक देना जैसे साबित होगा।
सामाजिक कार्यकर्ता लालू गबेल ने कहा कि मैं खुद एक निजी विद्यालय का संचालक हूँ, और हमारे स्कूल के स्थापना को महज चार वर्ष हुआ था कि “कोरोना” आ गया और लॉकडाउन से अब तक स्कूल दो साल से बंद है, इस कोरोना काल मे निजी स्कूल वालो की पीड़ा और बदहाली क्या है ये हमसे ज्यादा कोई नही जानेगा, सभी निजी स्कलों की स्थिति बहुत ही पीड़ादायक है। और आप सब ये भी जानते है कि कोरोना काल मे निजी स्कूलों के लिए पालकों और अभिभावकों की मंशा क्या है।
स्कूल खुलने का बेसब्री से इन्तेजार और हड़बड़ी हमको सबसे ज्यादा फिर भी मुझे लगता है कि कोरोना के खतरा रहते तक स्कूल खोलने में हड़बड़ी नही होना चाहिए और ना ही कोई जोखिम लेना चाहिए, जहाँ आफत के संकेत बच्चों पर हो।
श्रीगबेल ने कहा कि मैंने कोरोना को बहुत नजदीक से देखा भी है और दूसरी लहर में कोरोना योद्धाओं की तरह काम भी किया है। कोरोना मरीज इतने हो जाते है कि हॉस्पिटलों में जगह नही मिलती और समय पर ऑक्सीजन,वेंटिलेटर, मेडिसन, तो भूल जाईये कही कही तो डॉक्टर भी मिलना मुश्किल हो जाता है।
फिर हमारे बच्चे तो हमारे आने वाले कल है और देश प्रदेश के भविष्य है।
शासन प्रशासन को तो वैक्सीनेशन पर हड़बड़ी होना चाहिए ताकि परमानेंट कोई हल निकले और कोरोना से सबको मुक्ति मिले।

लाइव भारत36 न्यूज़36 से विजय धिरहे

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