जीरो प्रतिशत बिजली प्रदाय क्षेत्र बना बलंगी,थोड़ी सी आंधी आने पर 5,6 खंभे प्रतिदिन गिर जाते है,लालटेन युग में जी रहे बलंगी क्षेत्र के गांव।
बलंगी– गौरतलब है कि कुछ दिनों से मौसम खराब चल रहा है, और हल्की आंधी व बारिश होती रहती है परंतु इतना बड़ा चक्रवात प्रतिदिन नहीं आ जाता कि 5,6 खंभे रोज गिर जाते हैं और बनने में दो-तीन दिन लग जाते हैं। जरा भी आंधी आई नहीं कि बिजली गुल हो जाती है और शाम को कटी बिजली अगले पूरे दिन भी नहीं आती, लोगों को प्रतिदिन अंधेरे में मोमबत्ती के सहारे गर्मी भरी रात गुजारनी पड़ रही है, क्षेत्र के लगभग 15 मुख्य गांव रघुनाथ नगर, रमेशपर, जनकपुर,कमलपुर, जोगियानी,बलंगी, बेबदी, मझौली, कोगवार जैसे गांव सामिल हैं।
इन गांव में महीने में 15 दिन भी लाइट 10 घंटे से अधिक नहीं रहती बिजली ऑफिस में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। लोगों के द्वारा पूछे जाने पर भी बिजली की सही जानकारी नहीं मिलती पता नहीं स्टाफ कम है या लापरवाही बरती जाती है, महीने भर अंधेरे में रहने के बाद भी बिजली बिल उतना ही आता है वह भी बिना मीटर चेक किये।
फिर भी ना तो यहां के सरपंच, पंच,बीडीसी या अन्य किसी को कोई समस्या दिखती है, और ना ही कोई ध्यान दिया जाता है,क्योंकि इनके घरों में सारी सुविधाएं हो गई हैं।
मोबाइल चार्ज करने के लिए भी लोगो को मोहल्ले वालों से मिट्टी तेल थोड़ा-थोड़ा ले कर जनरेटर चलाकर चार्ज करना पड़ रहा है।
प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी देने पर वह कोरोनावायरस का नाम लेकर घरो में दुबक जाते हैं।
आज बिजली मोबाइल जैसी चीजों के लिए चंदा इकट्ठा करना पड़ता है,जबकि जब से छत्तीसगढ़ 0% बिजली कटौती राज्य घोषित हुआ है तब से यहां जीरो प्रतिशत के बराबर बिजली आपूर्ति हो रही है।
बिजली विभाग को मध्य प्रदेश सीमा से लगे इन गांवों की कोई चिंता नहीं है और ना ही आज तक यहां कोई सरकारी निर्माण कार्य किया गया।
चुनाव जीतने के बाद यहां के कोई भी प्रतिनिधि क्षेत्र की समस्या सुनने नहीं आया चाहे वह पंच हो या सांसद चुनाव के बाद किसी की शक्ल आज तक नजर नहीं आई।
इस महामारी के समय में भी जब सब लोग घर में ही रह रहे हैं, तब बिजली जैसी आवश्यक जरूरत के लिए तरसना पड़ रहा है, बिजली विभाग के सारे कर्मचारी एक व्हाट्सएप ग्रुप में हैं तथा सभी ग्राम वासियों की सभी ग्रामवासी भी परंतु किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी जाती और बिजली विभाग वाटप्प नगर के कर्मचारी ना फोन उठाते हैं और ना ही किसी प्रकार ध्यान दिया जाता है, जबकि मुख्य वाड्रफनगर नगर में नियमित बिजली रहती है। सरना बिजली स्टेशन से ही स्टाफ की कमी या भीषण चक्रवात की समस्या से बिजली के खंभे रोज उखड़ जाते हैं खंभा ऐसा भी कितना घटिया होता होगा या क्या 10 सेंटीमीटर ही गाड़ा जाता होगा जो पेड़ नहीं गिरने पर भी खंभे गिर जाते है।
लाइव भारत36 न्यूज़ से चंदन पाण्डेय