रायगढ़

व्हाट्सएप “डीपी” ने मचाया जिले में बवाल..गुस्साये उपसंचालक कृषि ने शासकीय छुट्टी के दिन भी जारी कर दिया नोटिस…!

रायगढ़ कृषि विभाग के दिन रात मेहनत का नतीजा है कि छत्तीसगढ़ राज्य को पाँच बार “कृषि कर्मण” पुरस्कार प्राप्त हुआ है (धान उत्पादन हेतु वर्ष 2010-11, 2012-13, 2013-14 में एवं दलहन उत्पादन हेतु वर्ष 2014-15 में तथा वर्ष 2016-17 मे कुल खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी 2 अंतर्गत सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादन हेतु) जो कि राज्य के कृषकों को समर्पित है जिनकी मेहनत के फलस्वरूप ही राज्य को उक्त पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
सरकार चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की मेहनत होता है किसान का, जिससे किसी प्रदेश को पुरुस्कार मिलता है राज्य को, तब प्रत्येक छत्तिसगढ़ वासी का सीना गर्व से फूलता है कि हम भी बेस्ट हैं। ये जमीन स्तर के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी अपने कृषि प्रसार के अलावा भी कोरोनकाल में ड्यूटी हो, फसल बीमा हो, धान उपार्जन केंद्र में महीनों ड्यूटी हो या अभी वर्तमान में गोठान योजना में नोडल कार्य दिन रात अपने कर्तव्य निर्वहन में लगे हैं। इसी का परिणाम है गोठान सम्बंधित संचालन में जिले का स्थान पहले 5 में आता है। जिसका श्रेय एयर कंडीशनर कमरे में बैठे उच्चाधिकारी प्रशानिक स्तर पर खुद की पीठ थपथपाकर उठाते आ रहे हैं।
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी बरसात या भीषण गर्मी अपने विभागीय कार्य मे लगे हैं और उनके वेतन को रोकने से जरूर उनके परिवार पर आर्थिक संकट आयेगी इनकार नही किया जा सकता।

रागी में शत प्रतिशत लक्ष्य पूर्ति नही होने पर वेतन रोकने के आदेश–कृषि अधिकारी संघ

छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक कृषि अधिकारी संघ ने मीडिया को बताया कि रायगढ़ के मैदानी इलाकों में किसान मुख्यतः धान की बुवाई करते हैं। जैसे ही खरीफ़ फसल की कटाई किसानों द्वारा की जाती है रबी फसल हेतु खेत की तैयारी शुरू कर दी जाती है। क्योंकि किसानों के मुख्य आय का साधन उनकी खेती ही होती है। रायगढ़ जिले में किसान मुख्यतः 15 जनवरी तक 85% खेतो में फसलों की बुवाई समाप्त कर लेते हैं। ऐसे में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के मुख्यालय में 12 से 15 जनवरी को बीज आता है और उन्हें कहा जाता है आप किसानों को कहो कि अपने खेत में रागी फसल लगाएं। फिर भी इस वर्ष बचे रकबे में जैसे तैसे कर किसानों को रागी फ़सल की विशेषता बताकर और अपने प्रसार शिक्षा से रागी की फसल लगाने को मना लेते हैं। उसके बाद भी लक्ष्यपूर्ति के नाम से सभी अधिकारियों का वेतन रोकना डीडीए के तानाशाही रवैये को दर्शाती है, जिसका कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ पुरजोर विरोध करती है।

ज्ञापन का कोई असर नही…-

संघ ने डीडीए भगत को लिखे पत्र में कहा था कि जिले के समस्त ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारीयों के द्वारा वरिष्ठालय से दिए
गए लक्ष्यों के प्राप्ति एवं कृषकों को तकनिकी मार्गदर्शन हेतु निष्ठांपूर्वक कार्य किया जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरुप गोधन न्याय योजना अंतर्गत वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं विक्रय में जिले का नाम राज्य में तीसरे स्थान पर है जो आपके उचित मार्गदर्शन एवं मैदानी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारीयों के मेहनत का परिणाम है और
जिले के रागी फसल के अलावा अन्य समस्त फसलों के प्रदर्शन की शत प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति कर ली गई है।
चूँकि रागी फसल जिले के कृषकों के लिए नई फसल है एवं छत्तीसगढ़ में मुख्यतः खरीफ फसल के रूप में ली
जाती है जबकि जिले के लिए रागी का फसल प्रदर्शन कार्यक्रम रबी मौसम में लिए जाने हेतु कार्यक्रम निर्धारित किया गया फिर भी ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारीयों के सतत प्रयास से लगभग 75% से अधिक प्रदर्शन का आयोजन सफलता पूर्वक किया गया है | विकासखंड स्तर पर रागी बीज 13-15 जनवरी तक उपलब्ध कराया
गया है तब तक रबी क्षेत्राच्छादन लगभग 85% बोनी पूर्ण हो चूका था शेष 15% रकबा में रागी फसल हेतु उपयुक्त भूमि का चयन करते हुये अधिकाधिक लक्ष्य पूर्ति हेतु प्रयास किया गया है| अतः वेतन प्रदान करने की कृपा करें। जिस पर भी उपसंचालक कृषि द्वारा कोई प्रतिक्रिया नही दिया गया।

व्हाट्सएप डीपी से मचा बवाल-

व्यक्तिगत और लिखित निवेदन करने के पश्चात भी जब लॉकडौन घोषणा उपरांत भी जब कोई वेतन आहरण सम्बंधित पॉजिटिव सूचना नही आई तो जिले के कुछ ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों द्वारा अपने व्हाट्सएप के डीपी में “नो पे नो वर्क” रखकर अपनी ड्यूटी करने की अपील की गयी।
डीपी लगाते ही पूरे जिले में किसानों,राजनेताओं और सम्बंधित कृषि अधिकारीयों के परिजनों में बात आग की तरह फैल गयी कि कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारीयों का वेतन रोक गया है। डीपी लगाने के महज कुछ घण्टे बाद ही उपसंचालक कृषि के पास ये सूचना पहुंच गई कि ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों ने अपने व्हाट्सएप में “नो पे नो वर्क” का डीपी रखा है और किसान और जनप्रतिनिधियों के मध्य उनका चेहरा धूमिल हो रहा है। तब उपसंचालक कृषि ललितमोहन भगत द्वारा आरएईओ को व्हाट्सएप में चेतावनी दी जाती है कि आप तत्काल अपना डीपी हटाओ वरना आपके खिलाफ मैं कार्यवाही करूँगा।

डीपी के कारण घण्टे भर बाद नोटिस-

अपना नाम खराब होते देख उपसंचालक द्वारा पहले तो सभी को व्हाट्सएप में डीपी हटाने को कही जाती है जिससे डर में कुछ आरएईओ तत्काल हटा देते हैं परंतु कुछ आरएईओ यह कर कर नही हटाते की हमे भी अपनी अभियक्ति की आजादी का मौलिक अधिकार है। हम अपना कर्तव्य निर्वहन कर रहे हैं, हम हड़ताल नही कर रहे न ही कर्तव्य में लापरवाही बरत रहे हैं हम सिर्फ अपना वैतनिक हक मांग रहे हैं। हम किसानों के बीच जाते हैं,हमारा सीधा संपर्क किसानों से होता है किसान भी जाने की हम कोरोनकाल में पूरा कार्य करके भी वेतन नही पा रहे हैं, अतः कुछ आरएईओ डीपी नही हटाते है जिस पर उनको व्हाट्सएप के माध्यम से तत्काल नोटिस जारी की जाती है।

क्या है उपसंचालक कृषि के नोटिस में-

उपसंचालक कृषि ललितमोहन भगत दी गयी नोटिस में लिखा जाता है कि आपके द्वारा जिला के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी संघ व्हाटअप गुप में “नो पेमेंट नो वर्क (No Payment No Work) का लोगो बनाकर शासन की
महत्वकारी कार्य को नहीं करने हेतु अपने साथी कर्मचारियों को प्रेरित किया जा रहा है. जो उचित
नहीं है. जवकि अधोहतासारी कार्यालय एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी द्वारा आपको मौराम रवी 2020 एव आगागी खरीफ 2021 का लक्ष्य प्रदाय किया गया है और प्रदाय लक्ष्य के विरूद्ध
शत-प्रतिशत पूर्ति सुनिश्चित करने हेतु आपको कई बार निर्देशित किया गया है. परन्तु आपके द्वारा
जानबुजकर प्रदाय लक्ष्य की पूर्ति नहीं करते हुए दिये गये निर्देशों का अवहेलना किया गया है तथा
आपके द्वारा शासन की अनेक महत्वपूर्ण योजनाओ को असफल बनाने के कुचेष्ठा से कार्य किया जा रहा है, जो छ ग. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के विपरीत है। अतः आपको लेख किया जाता है. कि प्रदाय लक्ष्य के विरूद्ध आपके क्षेत्र की पूर्ति की जानकारी के साथ-साथ उक्त कृत्य के संबंध में अपना स्पष्टीकरण दिनांक 19.04.2021 तक
अधोहरताक्षरी को प्रस्तुत करें। स्पस्टीकरण समय पर एवं सतोषप्रद नहीं होने पर आपके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जायेगा। जिसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होगें।

शासकीय अवकाश के दिन निकाला गया नोटिस जिसमे कार्यालयीन जावक क्रमांक भी इंगित–

सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि संविधान निर्माता श्री भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस 14 अप्रैल के उपलक्ष्य पर जब पूरे प्रदेश में छुट्टी थी उस अवसर पर शासकीय नोटिस वो भी जिले के सबसे बड़े कृषि कार्यालय से निकाला जाता है जिसमे उपसंचालक का हस्ताक्षर और कार्यालय का जावक क्रमांक भी इंगित रहता है ये समझ से परे है। क्या 14 अप्रैल को कार्यालय खोलकर नोटिस दी गयी थी या ललितमोहन भगत कार्यालय और अपने स्टॉफ को अपने हाथ मे रखते हैं जिसके इशारे भर से हर काम हो जाता है। जबकि आदेशानुसार 12 अप्रैल से ललितमोहन भगत के अवकाश में जाने से उपसंचालक कृषि का प्रभार कलेक्टर भीमसिंह ने डिप्टी कलेक्टर सुश्री अभिलाषा पैंकरा को दिया था। फिर उक्त आदेश में ललितमोहन भगत का हस्ताक्षर वो भी संविधान निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर के जन्म दिन पर क्या सिर्फ अपना दबदबा कायम करने या अपने कर्मचारियों को डराने के लिए अवकाश के दिन में भी नोटिस जारी कर दिया गया..!

क्या कहते है कृषि स्नातक संघ के जिला अध्यक्ष-

कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के अध्यक्ष मिथलेश साहू ने बताया कि सभी ग्रामीण कृषि अधिकारी अपने कर्तव्य को समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं। सिर्फ कृषि ही नही अपितु कोरोनकाल में ड्यूटी, धान खरीदी, या गोठान कार्य या प्रशासन द्वारा जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाती है जिसका शतप्रतिशत पालन हमारे साथयों द्वारा किया जाता है। चूंकि हमारे जीले में रागी की फसल के लिए हमने किसानों को प्रेरित भी किया था लेकिन बीज हमारे पास 12 जनवरी के आस पास आयी, जबकि जिले में उक्त तिथि तक 85% किसान अपनी बुवाई कम्प्लीट कर लेते हैं। फिर भी हमारे साथयों ने अपने तरफ से पुरजोर कोशिश की है। 75% लक्ष्य पूर्ति कर ली गयी है कुछ आरएईओ ने तो शत प्रतिशत लक्ष्य पूर्ति कर लिया है फिर भी उनका वेतन रोकना तर्कसंगत नही है। और जब हमारे द्वारा कर्तव्य का निर्वहन करते हुवे भी सिर्फ अपनी बात उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने के लिए “नो पे नो वर्क” का स्वयं के मोबाइल में डीपी डाला गया उसपर कार्यवाही करने के लिए छुट्टी के दिन कार्यालयीन आदेश जारी करना उपसंचालक की नीति समझ से परे है।

क्या कहते है जिला मीडिया प्रभारी-
जिला मीडिया प्रभारी ने बताया कि उपसंचालक से अपनी बात को रखते हुवे हमने निवेदन किया था कि सभी साथियों का सामूहिक वेतन न रोका जाए क्योंकि वेतन ही कर्मचारियों का आधार होता है किसी को बीमा की क़िस्त, कोई होमलोन की क़िस्त, किसी के बच्चों का फीस, घरेलू ख़र्च के साथ दर्जनों जिम्मेदारियां रहती हैं, इस कोरोनकाल मे जब लॉकडौन कि स्थिति में भी आप वेतन रोकेंगे तो उनके परिवार पर कितना बुरा असर होगा। लेकिन वेतन तो दूर की बात महोदय एक “डीपी” से इतने तिलमिला गए कि छुट्टी में रहते हुवे, छुट्टी के दिन भी नोटिस जारी कर दिए।

क्या कहते हैं उपसंचालक कृषि-

काम नही कर रहें है तो रोके हैं लेकिन मैं 12/13 को आदेश दे दिया है रिलीज के लिए एस.ए.डी.ओ.और एस.डी .ए.ओ. संयुक्त रूप से भृमण करें और निरीक्षण करें और जो कार्य किये हैं उनको वेतन दे दो बोलके मेरे द्वारा कहा गया है। क्योंकि वेतन तो एस.डी.ए.ओ. ही निकालते हैं, उपसंचालक थोड़ी निकालता है।
मैं छुट्टी में नही हूँ घर से कार्य करता हूँ। सुश्री अभिलाषा मेडम को सिर्फ मीटिंग में जाने के लिए प्रभार दिए हैं, सब कार्य मैं ही करता हूँ,सब जानकारी मेरे से ही मांगते हैं। आरएईओ मुख्यालय में नही रहते सब शहर में रहते हैं। इनके ऊपर तरीके से जांच हो जाये तो सब आरएईओ की हेकड़ी निकल जाएगा। कुछ लोग काम कर रहे हैं कुछ लोग डीडीए को डरते ही नही हैं, लेकिन गेहूं के साथ घुन भी पिसाता है। वेतन नही मिल रहा है तो अब फर्क पड़ा है। लेकिन मैं अभी मेरे द्वारा अनुविभागीय अधिकारी को आदेशित कर दिया हूँ कि जो बिल्कुल ज़ीरो है उनका वेतन रुकेगा बाकी सबको वेतन मिलेगा।

Reported by admin

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button