महासमुंद

दो दिवसीय कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों एवं प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया

महासमुंद 28 सितम्बर 2022/ भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र, रायपुर द्वारा उप संचालक कृषि कार्यालय महासमुंद के सभाकक्ष में दो दिवसीय आई पी एम ओरिएंटेशन एच आर डी कार्यक्रम का आयोजन गत दिवस किया गया।


आई पी एम केन्द्र के प्रभारी सहायक निदेशक श्री नीरज कुमार सिंह ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों, किसानों, कीटनाशक विक्रेताओं और किसान मित्रों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन के वर्तमान में उपयोगिता और प्रासंगिकता के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि किसानों द्वारा फसलों को कीट एवं बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित और अनावश्यक प्रयोग नहीं करना चाहिए। रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी बहुत नुकसानदायक है। इसलिए यह जरूरी है कि किसान एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन को अपनाएं तथा आई पी एम के अंतर्गत आने वाले अन्य तकनीक के साथ जैविक कीटनाशकों के प्रयोग करें। जहाँ अति आवश्यक हो वहां केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति द्वारा अनुमोदित रासायनिक कीटनाशक का अंतिम विकल्प के तौर पर प्रयोग कर सकते है।


इसी प्रकार सहायक पादप संरक्षण अधिकारी डॉ. विकास चवण ने विभिन्न प्रकार के प्रयोग और उसे घर में बनाने की विधि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मक्का के फसल में लगने वाले फॉल आर्मी वॉर्म किट के पहचान, रोकथाम एवं श्री अशोक कुमार ने विभिन्न प्रकार के मित्र कीटों के पहचान और खेतों में उनके फायदे के बारे में भी किसानों को बताया। विषय वस्तु विशेषज्ञ श्री कुणाल चंद्राकर ने विभिन्न फसलों पर पोषक तत्वों की कमी के लक्षण और उसके निदान के उपाय के बारे में जानकारी दी। कीट विशेषज्ञ श्री हुमायूँ ने विभिन्न जैविक कीटनाशकों के बारे में बताया। श्री उमेश चंद्राकर, कृषि विकास अधिकारी ने सब्जी फसलों, सहायक निदेशक श्री नीरज कुमार सिंह ने धान फसलों में आने वाली विभिन्न कीटों और बीमारियों के लक्षण और उसके समन्वित प्रबंधन के बारे में विस्तार से चर्चा किए। उप संचालक कृषि श्री अमित कुमार मोहंती ने सभी किसानों, प्रशिक्षणार्थियों से आग्रह करते हुए कहा कि प्रशिक्षण के माध्यम से विशेषज्ञों द्वारा बताए गए जानकारी को अपने दैनिक खेती-बारी में अमल में लाएं और पर्यावरण को संरक्षित करें। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 65 प्रशिक्षणार्थियों ने हिस्सा लिया।

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